________________
的步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步555555555
१७. असीलया-शील-सदाचार का घातक। १८. गामधम्मतित्ती-इन्द्रियों के शब्दादि विषय की गवेषणा का कारण। १९. रई-रतिक्रीड़ा-सम्भोग करना। २०. रागचिंता-नर-नारी के शृंगार, हाव-भाव, विलास आदि के चिन्तन से उत्पन्न होने वाला। २१. कामभोगमारो-कामभोगों में अत्यन्त आसक्ति होने से मृत्यु का कारण। २१. वेर-वैर-विरोध का हेतु। २३. रहस्सं-एकान्त में किया जाने वाला कृत्य। २४. गुज्झं-लुक-छिपकर किया जाने वाला या छिपाने योग्य कर्म। २५. बहुमाणो-संसारी जीवों द्वारा बहुत मान्य। २६. बंभचेरविग्यो-ब्रह्मचर्यपालन में विघ्नकारी। २७. वावत्ती-आत्मा के स्वाभाविक निज गुणों का विनाशक। २८. विराहणा-सम्यक्चारित्र की विराधना करने वाला। २९. पसंगो-आसक्ति का कारण। ३०. कामगुणोत्ति-कामवासना का कार्य। इस प्रकार अब्रह्मचर्य के ये तीस तथा इस प्रकार के अन्य नाम भी होते हैं। 81. There are thirty synonyms of abrahm. They are as follows1. Abrahm-Improper act devoid of time nature of self. 2. Maithun-Act of co-habiting between two sexes. 3. Charant-Spread all over in the universe. 4. Sansargi-Produced through contact of men and women with each
other.
5. Sevana-dhikar-Instigator of sinful activities like falsehood, stealing and the like. ____6. Sankalpi-It arises from mental attitude.
7. Badhana Padanaam-It causes disturbance to places where selfrestraint is practical. ____8. Darp-It arises when the body and sense organs become more energetic.
9. Moh-It is the result of deluding Karma. It destroys sense of discrimination.
10. Manah Sankshobh-It causes instability or pollution in the mind.
श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र
(180)
Shri Prashna Vyakaran Sutra
四听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听四
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org