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%%%%%%%%%%%%%$$$$$$$$$55555555 ॐ फरुसपडहघट्टिय-कूडग्गहगाढरुट्ठणिसट्ठपरामुट्ठा वज्झयरकुडिजुयणियत्था सुरत्तकणवीर-गहियविमुकुल- 9
कंठे -गुण-वज्झदूयआविद्धमल्लदामा, मरणभयुप्पण्णसे य-आयतणेहुत्तुपियकिलिण्णगत्ता ॐ चुण्णगुंडियसरीर-रयरेणुभरियकेसा कुसुंभगोकिण्णमुद्धया छिण्ण-जीवियासा घुण्णंता वज्झयाणभीया।
तिलं तिलं चेव छिज्जमाणा सरीरविक्किंत्तलोहिओलित्ता कागणिमंसाणि-खावियंता पावा खरफरुसएहिं तालिज्जमाणदेहा वातिग-णरणारीसंपरिबुडा पेच्छिज्जंता य णगरजणेण बज्झणेवत्थिया पणेज्जंति णयरमज्झेण किवणकलुणा अत्ताणा असरणा अणाहा अबंधवा बंधुविप्पहीणा विपिक्खिंता
दिसोदिसिं मरणभयुब्बिग्गा आघायणपडिदुवार-संपाविया अधण्णा सूलग्गविलग्गभिण्णदेहा। # ७४. अठारह प्रकार के चोरों एवं चोरी के प्रकारों के कारण उनके अंग-अंग पीड़ित कर दिये के जाते हैं, उनकी दशा अत्यन्त करुणाजनक दयनीय होती है। उनके ओठ, कण्ठ, गला, तालु और जीभ
सूख जाती है, जीवन की आशा उनकी समाप्त हो जाती है। वे बेचारे प्यास से पीड़ित होकर पानी माँगते 卐 हैं पर वह भी उन्हें नसीब नहीं होता। वहाँ कारागार में वध (मृत्युदण्ड) के लिए नियुक्त पुरुष उन्हें भ
धकेलकर या घसीटकर ले जाते हैं। अत्यन्त कर्कश ढोल बजाते हुए, राजकर्मचारियों द्वारा धकियाए ॐ जाते हुए तथा तीव्र क्रोध से भरे हुए राजपुरुषों, जल्लादों द्वारा फाँसी या शूली पर चढ़ाने के लिए
दृढ़तापूर्वक पकड़े हुए वे अत्यन्त ही अपमानित होते हैं। उन्हें प्राणदण्ड प्राप्त मनुष्य के लिए खास दो ॐ वस्त्र पहनाये जाते हैं। लाल कन्नेर के फूलों की माला उनके गले में पहनायी जाती है, जो वध्यदूत-सी म (मृत्यु का दूत) प्रतीत होती है अर्थात् यह सूचित करती है कि इस पुरुष को शीघ्र ही मृत्युदण्ड दिया है
जाने वाला है। मौत के डर के कारण उनके शरीर से पसीना छूटता है, उस पसीने की चिकनाई से उनके के सारे अंग भीग जाते हैं-समूचा शरीर चिकना-चिकना हो जाता है। कोयले आदि के काले रंग के चूर्ण
से उनका शरीर पोत दिया जाता है। हवा से उड़कर चिपटी हुई धूलि से उनके केश रूखे एवं धूलभरे हो ॐ जाते हैं। उनके सिर केशों को कुसुभी-लाल रंग से रंग दिया जाता है। उनकी जिन्दा रहने की आशा नष्ट + हो जाती है। अतीव भयभीत होने के कारण वे डगमगाते हुए चलते हैं-दिमाग में चक्कर आने लगते हैं :
और वे वधकों-जल्लादों से भयभीत बने रहते हैं। ___उनके शरीर के तिल-तिल जितने-छोटे-छोटे टुकड़े कर दिये जाते हैं। उन्हीं के शरीर से काटे हुए ॐ और खून से लिप्त माँस के छोटे-छोटे टुकड़े उन्हें खिलाए जाते हैं। कठोर एवं कर्कश स्पर्श वाले नुकीले + पत्थरों आदि से उन्हें पीटा जाता है। इस भयावह दृश्य को देखने के लिए अनियंत्रित नर-नारियों की
भीड़ एकत्र हो जाती है। नागरिक जन उन्हें (इस अवस्था में) देखते हैं। फिर मृत्यु-दण्ड प्राप्त कैदी की 卐 पोशाक उन्हें पहनाई जाती है और नगर के बीचोंबीच होकर ले जाया जाता है। उस समय वे चोर
अत्यन्त दयनीय दिखाई देते हैं। त्राणरहित, अशरण, अनाथ, बन्धु-बान्धवविहीन, भाई-बंदों द्वारा ॐ परित्यक्त वे इधर-उधर नजर डालते हैं (कि कोई सहायक-संरक्षक दीख जाये) और (सामने उपस्थित)
मौत के भय से अत्यन्त घबराये हुए होते हैं। तत्पश्चात् उन्हें वध-स्थल पर पहुंचा दिया जाता है और ॐ उन अभागों को शूली पर चढ़ा दिया जाता है, जिससे उनका शरीर छिन्न-भिन्न हो जाता है।
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श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र
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Shri Prashna Vyakaran Sutra
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