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+ चोर को दिया जाने वाला दण्ड PUNISHMENT AWARDED TO THIEVES म ७३. अदंतिंदिया वसट्टा बहुमोहमोहिया परधणम्मि लुद्धा फासिंदिय-विसय-तिव्वगिद्धा # इत्थिगयरूवसद्दरसगंधइट्ठरइमहियभोगतण्हाइया य. धणतोसगा गहिया य जे परगणा, पुणरवि ते कम्मदुब्बियद्धा उवणीया।
रायकिंकराण तेसिं वहसत्थगपाढयाणं विलउलीकारगाणं लंचसयगेण्हगाणं कूडकवडमाया-णियडिआयरणपणिहिवंचणविसारयाणं बहुविहअलियसयजंपगाणं परलोय-परम्मुहाणं णिरयगइगामियाणं।
तेहिं आणत्त-जीयदंडा तुरियं उग्घाडिया पुरवरे सिंघाडग-तिय-चउक्क-चच्चर-चउम्मुहॐ महापहपहेसु वेत-दंड-लउड-कट्ठले?-पत्थर-पणालिपणोल्लिमुट्ठि-लया-पायपण्हि-जाणु-कोप्परपहारसंभग्ग-महियगत्ता।
७३. जिन्होंने अपनी इन्द्रियों का दमन नहीं किया है अर्थात् इन्द्रियों के दास बन गये हैं, वशीभूत ॥ हो रहे हैं, जो तीव्र आसक्ति के कारण हिताहित का विवेक खो चुके हैं, पराये धन में लुब्ध हैं, जो स्पर्शनेन्द्रिय के विषय में तीव्र रूप से आसक्त हैं, स्त्री सम्बन्धी रूप, शब्द, रस और गंध में इष्ट रति तथा : वांछित भोग की तृष्णा से व्याकुल हैं, जो केवल धन की प्राप्ति में ही सन्तोष मानते हैं, ऐसे ॥ मनुष्यगण-राजपुरुषों द्वारा पकड़ लिए जाते हैं, फिर भी (पहले भी ऐसी यातनाएँ भोग लेने पर भी) वे पापकर्म के परिणाम को नहीं समझते।
वे राजपुरुष अर्थात् आरक्षक-पुलिस के सिपाही-वधशास्त्र पढ़े हुए होते हैं अर्थात् वध की विधियों को गहराई से समझते हैं। अन्याययुक्त दुष्ट कर्म करने वाले चोरों को गिरफ्तार करने में चतुर होते हैं। वे तत्काल समझ जाते हैं कि यह चोर अथवा लम्पट है। वे सैकड़ों अथवा सैकड़ों बार रिश्वत लेते हैं। झूठ, कपट, माया, धूर्तता करके वेष-परिवर्तन आदि करके चोर को पकड़ने तथा उससे अपराध स्वीकार कराने में अत्यन्त कुशल होते हैं, गुप्तचरी के काम में अति चतुर होते हैं। वे नरकगतिगामी, परलोक से विमुख एवं अनेक प्रकार से सैकड़ों असत्य भाषण करने वाले, ऐसे राजकिंकरों-सरकारी कर्मचारियों
के समक्ष उपस्थित कर दिये जाते हैं। + जिन्हें प्राण-दण्ड की सजा सुनाई गई है, उनको उन्हीं राजकर्मचारियों द्वारा नगर में त्रिकोण मार्गों,
चौराहों, राजमार्गों, गलियों, बाजारों, देव मन्दिर आदि स्थानों में जनसाधारण के सामने लाकर खड़े 卐 कर दिये जाते हैं। तत्पश्चात् बेंतों से, डण्डों से, लाठियों से, लकड़ियों से, ढेलों से, पत्थरों से, लम्बे लट्ठों
से, पणोल्लि-एक विशेष प्रकार की लाठी से, मुक्कों से, लताओं से, लातों से, घुटनों से, कोहनियों से । 卐 उनके अंग-अंग भंग कर दिये जाते हैं, उनके शरीर को मथ दिया जाता है।
73. The wretched people who have not controlled their senses, in fact they are slaves of their sense organs, they have lost the sense of discrimination between good and bad due to their deep attachment. They are drawn to others wealth, they are restless due to their sensual desire
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श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र
(154)
Shri Prashna Vyakaran Sutra
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