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permanently, making them non-productive, filling their body with air (so that they may produce more milk), process of milking them, making them fat by feeding herbs and milking them with the help of a calf of
another cow and then cheating them. They also educate them in causing 4 trouble to animals and in using them to drive cart. Further they tell
about various metals to those who own mines. They tell them about * various precious stones such as jewels, chandrakant jewel. Shilaprabals
and others. They tell about various types of flowers and fruit to gardeners. They tell about the location of beehives so that honey could be procured, to the bhils and foresters.
विवेचन : इसी प्रकार चिड़ीमारों को पक्षियों का पता, मच्छीमारों को मछलियों आदि जलचर जीवों के स्थान एवं घात का उपाय बताते हैं। चोरों, डाकुओं, जेबकतरों आदि को चोरी आदि के स्थान-उपाय आदि बतलाते हैं। तात्पर्य यह है कि विवेकविकल लोग अनेक प्रकार से ऐसे वचनों का प्रयोग करते हैं जो हिंसा आदि अनर्थों के कारण हैं और हिंसाकारी वचन मृषावाद में ही गर्भित हैं, भले ही वे किसी उद्देश्य से बोले गये। अतः सत्य के उपासकों को ऐसा प्रयोग नहीं करना चाहिए जिससे आरम्भ-समारम्भ आदि को उत्तेजना मिले या हिंसा हो। __Elaboration-In this manner, they tell sparrow-catchers, fishermen, hunters and thieves various locations and methods of committing violence. In brief those who are not discriminating about violent activities, they use suchlike words which result in causing violence. Such words fall in the category of falsehood even if they might have been uttered for some other purpose. So the followers of truth should not use
such words which may inspire violence to living beings in any form. ॐ पाप कार्य में सहभागी बनने वाले BECOMING PARTNERS IN VIOLENT SINFUL ACTS
५५. जंताई विसाइं मूलकम्मं आहेवण-आविंधण-आभिओग-मंतोसहिप्पओगे चोरिय-परदारगमण-बहुपावकम्मकरणं उक्खंधे गामघाइयाओ वणदहण-तलागभेयणाणि बुद्धिविसविणासणाणि ॐ वसीकरणमाइयाई भय-मरण-किलेसदोसजणणाणि भावबहुसंकिलिट्ठमलिणाणि भूयघाओवघाइयाई सच्चाई वि ताई हिंसगाई वयणाई उदाहरति ।
५५. मारण, मोहन, उच्चाटन आदि के लिए यन्त्र आदि लिखकर देने या पशु-पक्षियों को पकड़ने वाले यन्त्रों, संखिया आदि विषों तथा गर्भपात आदि के लिए जड़ी-बूटियों के प्रयोग, मन्त्र आदि द्वारा :
नगर में क्षोभ या विद्वेष उत्पन्न कर देने अथवा मन्त्रबल से धनादि पाने के उपाय, द्रव्य और भाव से ॐ वशीकरण मंत्रों एवं औषधियों के प्रयोग, चोरी, परस्त्रीगमन आदि के बहुत-से पापकर्मों के उपदेश देने के म तथा छल से शत्रुसेना की शक्ति को नष्ट करना अथवा उसे कुचल देने के, जंगल में आग लगा देने,
तालाब आदि जलाशयों को सुखा देने के, गाँव को नष्ट कर देने के, बुद्धि के विषय-विज्ञान आदि
अथवा बुद्धि एवं स्पर्श, रस आदि विषयों के विनाश के, वशीकरण आदि के भय, मरण, क्लेश और 卐 दुःख उत्पन्न करने वाले उपाय बताते हैं। ऐसे वचन जीवों को संक्लेश पहुँचाने वाले हैं। जीवों का घात
और उपघात करने वाले होने से मृषावाद की श्रेणी में ही आते हैं।
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श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र
(110)
Shri Prashna Vyakaran Sutra
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