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विवेचन : प्रस्तुत पाठ में एक तथ्य यह भी स्पष्ट किया गया है कि मृषावादी असत्य भाषण करके पर का
अहित, विनाश या अनर्थ नहीं करता किन्तु अपना भी अहित, विनाश और अनर्थ करता है। अतएव अपने हित
की रक्षा के लिए अपने आपको दुर्गति से बचाने के लिए भी मृषावाद का परित्याग आवश्यक है।
for himself. So to safeguard one's own welfare and to protect oneself from having re-birth in bad state of existence, it is essential that one should discard falsehood.
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पाप का परामर्श देने वाले ADVISORS OF SIN
५४. एमेव जंपमाणा महिससूकरे य सार्हिति घायगाणं, ससयपसयरोहिए य साहिति वागुराणं तित्तिर- वट्टग - लावगे य कविंजल - कवोयगे य साहिंति साउणीणं, झस-मगर-कच्छभे य साहिति मच्छियाणं, संखंके खुल्लए य साहिति मगराणं, अयगर - गोणसमंडलिदव्वीकरे मउली य साहिति बालवणं, गोहा - सेहरा - सल्लग - सरडगे य साहिति लुद्धगाणं, गयकुलवाणरकुले य साहिंति पासियाणं, सुग- बरहिण - मयणसाल - कोइल - हंसकुले सारसे य साहिति पोसगाणं ।
Elaboration-In this aphorism, it has been clarified that a person who
is in the habit of telling lies, he by making false speeches causes damage
to the welfare not only of others but also to his own welfare. He digs a pit 5
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आरक्षकों- कारागार आदि के रक्षकों को वध, बन्ध और यातना देने के उपाय बतलाते हैं। चोरों को धन, धान्य और गाय-बैल आदि पशु बतलाकर चोरी करने की प्रेरणा करते हैं। गुप्तचरों को ग्राम,
श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र
Shri Prashna Vyakaran Sutra
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वहबंधजायणं च साहिंति गोम्मियाणं, धण - धण्ण - गवेलए य साहिति तक्कराणं, गामागरनगरपट्टणे य साहिति चारियाणं, पारघाइय पंथघाइयाओ य साहिंति गंटिभेयाणं, कयं च चोरियं साहिंति 5
गुत्तिया ।
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लंछण- णिलंछण-धमण- दूहण - पोसण - वणण - दवण - वाहणाइयाइं साहिंति बहूणि गोमियाणं, धाउ - मणि - सिल - प्पवाल - रयणागरे य साहिंति आगरीणं, पुप्फविहिं फलविहिं च साहिंति मालियाणं, फ्र हुको
साहिति वणचराणं ।
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५४.
वे स्व और पर दोनों का अहित करने वाले मृषावादी जन जीव (अपने क्षुद्र स्वार्थवश ) घातकों को भैंसों और शूकरों के सम्बन्ध में हिंसा का उपदेश देते हैं, व्याधों, शिकारियों को - शशकखरगोश या मृगशिशु और रोहित दिखाते हैं। तीतुर, बत्तख और लावक तथा कपिंजल और कबूतर पक्षीघातकों चिड़ीमारों को दिखलाते हैं, मच्छीमारों को मछलियाँ, मगर और कछुआ दिखाते हैं, शंख ( द्वीन्द्रिय जीव), अंक - जल-जन्तु और कौड़ी के जीव धीवरों को बतला देते हैं, अजगर, गोणस, मण्डली एवं दर्वीकर जाति के सर्पों तथा मुकुली - बिना फन के सर्पों को, साँप पकड़ने वालों को बतला देते हैं, गोधा, सेह, शल्लकी और गिरगिट लुब्धकों को हाथियों और बन्दरों के झुण्डों पर जाल डालकर पकड़ने वालों को बतलाते हैं। तोता, मयूर, मैना, कोकिला और हंस के कुल तथा सारस पक्षी पोषकों - इन्हें पकड़कर, बन्दी बनाकर रखने वालों को बतला देते हैं ।
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