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स्वरूप से अनभिज्ञ, असत्याचरण-परायण लोग अन्यान्य प्रकार से भी असत्य बोलते हैं । वह असत्य चपलता से युक्त हैं, (पैशुन्य) चुगलखोरी से परिपूर्ण हैं, परमार्थ को नष्ट करने वाला, असत्य अर्थ वाला अथवा सत्त्व से हीन, द्वेषमय, अप्रिय, अनर्थकारी पापकर्मों का मूल एवं मिथ्यादर्शन से युक्त है । वह कर्णकटु, सम्यग्ज्ञानशून्य, लज्जाहीन, लोक-निन्दित, वध - बन्धन और क्लेशों से परिपूर्ण, जरा, मृत्यु, दुःख और शोक का कारण है, मिथ्या भाषण बुरे परिणाम तथा संक्लेश का कारण है।
52. Greedy persons making false statement grab things belonging to others as they are extremely attached to others property. They point out such faults in noble persons which actually are not in them. Greedy persons give false evidence. Those persons tell lies in a fit of greed for money, and in respect of girl, land, cow, bullock and suchlike animals. This conduct leads them to mean state of existence.
In addition, such people make false statements about their clan, caste, appearance and character. They are expert in plotting against others. They publicise false accusation against others and condemn their good qualities. They are ignorant about the nature of merit and demerit. They are prone to indecent conduct. They utter falsehood in different manner. They are clever in making false statement. They are interested in back-biting. They destroy activities of public welfare. Their talk is having wrong interpretation. They are devoid of capability. They are jealous. They are not loved by any one. They are at the root of sinful activities. They have wrong faith (or perception). They do not have right knowledge. They are shameless and are condemned by the public. They are full of disturbing traits and engaged into activities of violence. They are the cause of death, adage, pain and sorrow since they produces improper results, they are full of miseries.
विवेचन : इस पाठ में चार प्रकार के असत्यों का विशेष रूप से उल्लेख किया गया है - ( १ ) अर्थालीक, (२) भूम्यलीक, (३) कन्यालीक, और (४) गवालीक। इनका अर्थ इस प्रकार है
(१) अर्थालीक - अर्थ अर्थात् धन के लिए बोला जाने वाला अलीक (असत्य) । धन शब्द से यहाँ सोना, चाँदी, रुपया, पैसा, मणि, मोती आदि रत्न, आभूषण आदि भी समझ लेना चाहिए।
(२) भूम्यलीक - भूमि प्राप्त करने के लिए या बेचने के लिए अनेक प्रकार से असत्य बोलना, जैसे- अच्छी उपजाऊ भूमि को बंजर भूमि कह देना अथवा बंजर भूमि को उपजाऊ भूमि कहना आदि ।
(३) कन्यालीक - कन्या देने में या प्राप्त करने में असत्य भाषण करना, सुन्दर सुशील कन्या को असुन्दर या दुश्शील कहना और दुश्शील को सुशील कहना।
(४) गवालीक - गाय, भैंस, बैल, घोड़ा आदि पशुओं के सम्बन्ध में असत्य बोलना ।
चारों प्रकार के असत्यों में उपलक्षण से समस्त अपद, द्विपद और चतुष्पदों का समावेश हो जाता है।
श्रु. १, द्वितीय अध्ययन मृषावाद आश्रव
(105) Sh.1, Second Chapter: Falsehood Aasrava
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