________________
卐
卐
卐
卐
All these theories are false as they are one-sided. Jainism brings about cohesion in these five theories. It does not believes in them individually. It declares that in fact all the five namely time, nature, destiny, fate and efforts are jointly the cause of any success in any activity. The success is not dependent on one cause alone but it is the 卐 result of all of them jointly.
5
卐 It is wrong to believe that time, nature, fate, destiny and efforts are individually the cause of success. In other words to believe that only one
5
of them and not the remaining four is the cause of the result is wrong
फ्र
belief. All these jointly are the causes of the result. Such a belief is the right belief.
5
卐
5 ईर्ष्या-द्वेषवश झूटा दोषारोपण करने वाले FALSE ALLEGATIONS OUT OF JEALOUS
卐
卐
५१. अवरे अहम्मओ रायदुटं अब्भक्खाणं भणंति अलियं चोरोत्ति अचोरयं करेंतं, डामरिउत्ति वि
य एमेव उदासीणं, दुस्सीलोत्ति य परदारं गच्छइत्ति मइलिंति सीलकलियं, अयं वि गुरुतप्पओ त्ति । अण्णे
卐 एमेव भांति उवाहणंता मित्तकलत्ताइं सेवंति अयं वि लुत्तधम्मो, इमोवि विस्संभवाइओ पावकम्मकारी
卐
5 अगम्मगामी अयं दुरप्पा बहुएसु य पावगेसु जुत्तोत्ति एवं जंपंति मच्छरी ।
卐
5
भद्दगे वा गुणकित्ति - णेह - परलोय - णिष्पिवासा । एवं ते अलियवयणदच्छा परदोसुप्पायणप्पसत्ता वेढेंति
अक्खाइयबीएणं अप्पाणं कम्मबंधणेण मुहरी असमिक्खियप्पलावा ।
卐
卐 ५१. कोई-कोई लोग राज्यविरुद्ध (वर्तमान शासक पक्ष को बदनाम करने की नीयत से ) मिथ्या
卐 दोषारोपण करते हैं । यथा चोरी न करने वाले को चोर कहते हैं। जो उदासीन है - लड़ाई-झगड़ा नहीं
卐
5 करता, उसे लड़ाईखोर या झगड़ालू कहते हैं। जो सुशील है - शीलवान् है, उसे दुःशील व्यभिचारी बताते
卐 हैं, यह परस्त्रीगामी है, ऐसा कहकर उसे बदनाम करते हैं । उस पर ऐसा आरोप लगाते हैं कि यह तो
卐
5 गुरु-पत्नी के साथ अनुचित सम्बन्ध रखता है । कोई-कोई किसी की कीर्ति अथवा आजीविका को नष्ट
करने के लिए इस प्रकार मिथ्या दोषारोपण करते हैं कि यह अपने मित्रों की पत्नियों का सेवन करता
फ्र
卐
है । यह अधार्मिक है, यह विश्वासघाती है, पापकर्म करता है, नहीं करने योग्य कृत्य करता है, यह
5 अगम्यगामी है अर्थात् भगिनी, पुत्रवधू आदि अगम्य स्त्रियों के साथ सहवास करता है, यह दुष्टात्मा है,
卐
फ बहुत-से पापकर्मों को करने वाला है। इस प्रकार ईर्ष्यालु लोग मिथ्या प्रलाप करते हैं।
卐
भद्र पुरुष के परोपकार, क्षमा आदि गुणों की तथा कीर्ति, स्नेह एवं परभव की लेश मात्र परवाह न
卐
फ करने वाले वे असत्यवादी, असत्य भाषण करने में कुशल, दूसरों के कल्पित दोषों को बताने में संलग्न
वाचाल लोग प्रगाढ़
दुःख के कारणभूत अत्यन्त दृढ़
5 रहते हैं । वे विचार किये बिना बोलने वाले
कर्मबन्धनों से अपनी आत्मा को बद्ध करते हैं ।
卐
5 श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र
फ
फ्र
Jain Education International
(102)
For Private & Personal Use Only
Shri Prashna Vyakaran Sutra
生
फ्र
நகதகதபூதிபூமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிதிமிதிமிதி
www.jainelibrary.org