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चित्र-परिचय
Illustration No.5
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मृषावाद का स्वरूप (2) प्रजापति द्वारा सृष्टि-सर्जन-मनुस्मृति में कहा गया है कि ब्रह्मा ने अपने देह के दो टुकड़े के किये। एक से स्त्री बनी और एक से पुरुष । स्त्री ने एक विराट् पुरुष का निर्माण किया। उस विराट पुरुष ने तप करके मनु का निर्माण किया। मनु से सम्पूर्ण सृष्टि उत्पन्न हुई।
ईश्वरवाद-ईश्वरवादी 'एक सर्वव्यापी स्वतन्त्र सत्ता को' ईश्वर मानते हैं। उनका मानना है की कि ईश्वर द्वारा जगत् का निर्माण किया गया है। वह मनुष्यों को उनके अच्छे-बुरे कर्मों का फल देता है। जिससे प्रेरित होकर मनुष्य स्वर्ग-नरक में जाता है और पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार के सुख-दु:ख पाता है। ईश्वर द्वारा दिये गये कर्म फलस्वरूप ही (प्राणी) जीव मनुष्य और पशु आदि योनियों में उत्पन्न होता है।
विष्णुमय जगत्-मृषावाद के एक और स्वरूप की व्याख्या करते हुये विष्णुमय जगत् की मान्यता के बारे में बताया गया है-सर्व विष्णु मयं जगत्- यह जल, स्थल, अग्नि, वायु व आकाश आदि सभी में विष्णु व्याप्त हैं यानि यह सारा जगत् ही विष्णुमय है। ऐसा कोई स्थान नहीं जहाँ विष्णु न हों। उपरोक्त मान्यताओं को पिछले पृष्ठ पर चित्र द्वारा प्रदर्शित किया गया है।
-सूत्र 49, पृ. 92
FALACIOUS DOCTRINES EXPLAINED (2)
Creation by Prajapati - Manusmriti states that Brahma divided his body into two parts; one became a woman and other a man. That woman created a gigantic man who in turn created Manu with the help of his penance. Manu then created the whole universe.
Ishwaravad - The followers of this doctrine believe in an all-pervading independent power called the God. The universe was created by the God, who is the instrumental cause of this universe. He awards fruits of good and bad deeds of humans. As a consequence man goes to the heaven or hell as well as enjoys or suffers in different ways on this earth. It is due to the God's will that a soul is born as a numan or an animal according to its deeds.
Vishnu pervaded universe - Another fallacious doctrine described is the universe pervaded by Vishnu. It conveys that Vishnu pervades all this water, earth, fire, air and sky. There is nothing devoid of Vishnu.
- Sutra-49,page-92
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