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म त्रीन्द्रिय जीवों के दुःख PAIN OF THREE-SENSED LIVING BEINGS
___३८. तहेव तेइंदिएसु कुंथु-पिप्पीलिया-अवधिकादिएसु य जाइकुलकोडिसयसहस्सेहिं अट्ठहिं + अणूणएहिं तेइंदियाणं तहिं तहिं चेव जम्मणमरणाणि अणुहवंता कालं संखेज्जगं भमंति णेरइयसमाणतिव्वदुक्खा फरिस-रसण-घाण-संपउत्ता।
३८. इसी प्रकार कुंथु, पिपीलिका-चींटी, दीमक आदि त्रीन्द्रिय जीवों की पूरी आठ लाख ॐ कुलकोटियों में से विभिन्न योनियों एवं कुलकोटियों में जन्म-मरण का अनुभव करते हुए (वे पापी
प्राणी) संख्यात काल अर्थात् संख्यात हजार वर्षों तक नारकों के सदृश तीव्र दुःख भोगते हैं। ये त्रीन्द्रिय ॐ जीव स्पर्शन, रसना और घ्राण-इन तीन इन्द्रियों से युक्त होते हैं।
38. The ants, white ants, worms and the like are the three-sensed 3 living beings. They have 0.8 million Kulakotis and continuously they
take birth for a total period running upto numerable thousand years in these categories. They suffer pain and tortures like hellish beings. These living beings have three senses namely those of touch, taste and smell.
विवेचन : त्रीन्द्रिय-पर्याय में उत्पन्न हुए जीव भी उत्कर्षतः संख्यात हजार वर्षों तक बार-बार जन्म-मरण , करता हुआ त्रीन्द्रिय पर्याय में ही बना रहता है।
Elaboration-A three-sensed living being taking birth again and again 45 spends maximum period of numerable thousand years in the category of three-sensed living beings. द्वीन्द्रिय जीवों के दुःख PAIN OF TWO-SENSED LIVING BEING
३९. गंडूलय-जलूय-किमिय-चंदणगमाइएसु य जाइकुलकोडिसयसहस्सेहिं सत्तहिं अणूणएहिं बेइंदियाणं तहिं तहिं चेव जम्मणमरणाणि अणुहवंता कालं संखेज्जगं भमंति णेरइयसमाण-तिब्वदुक्खा + फरिस-रसण-संपउत्ता।
३९. गंडूलक-गिंडोला, जलौक-जोंक, कृमि, चन्दनक आदि द्वीन्द्रिय जीव पूरी सात लाख कुलकोटियों में से वहीं-वहीं अर्थात् विभिन्न कुलकोटियों में जन्म-मरण की वेदना का अनुभव करते 卐 हुए संख्यात हजार वर्षों तक भ्रमण करते रहते हैं। वहाँ भी उन्हें नारकों के समान तीव्र दुःख भुगतने के पड़ते हैं। ये द्वीन्द्रिय जीव स्पर्शन और रसना-जिह्वा, इन दो इन्द्रियों वाले होते हैं।
39. Snails, earthworms and the like two-sensed creatures have 0.7 million Kulakotis and they take birth again and again in them spending a maximum period of numerable thousand years. They experience sever suffering like those in hell. These living beings have two senses-sense of touch and sense of taste.
且听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听FFFFFFFFFFFFFFFFFFFF
श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र
(66)
Shri Prashna Vyakaran Sutra
四听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听。
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