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ॐ बुध-अबुध-पद BUDHA-ABUDHA-PAD
(SEGMENT OF PRUDENT AND IMPRUDENT) ५५६. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-बुधे णाममेगे बुधे, बुधे णाममेगे अबुधे, अबुधे णाममेगे बुधे, अबुधे णाममेगे अबुधे।
५५६. पुरुष चार प्रकार के होते हैं-(१) कोई पुरुष ज्ञान से बुध (विवेकी) होता है और आचरण व व्यवहार कुशलता से भी बुध (विवेकी) होता है (२) कोई ज्ञान से तो बुध होता है, किन्तु आचरण से 卐 अबुध (अविवेकी) होता है; (३) कोई ज्ञान से तो अबुध (अल्पज्ञ) होता है, किन्तु आचरण से बुध 5 - (कुशल); और (४) कोई ज्ञान से भी अबुध होता है और आचरण से भी अबुध।
556. Purush (men) are of four kinds-(1) Budha (prudent) and budha (prudent)—some man is prudent in knowledge and prudent in conduct as ___well. (2) Budha (prudent) and abudha (imprudent)-some man is prudent ___in knowledge and imprudent in conduct. (3) Abudha (imprudent) and budha (prudent)some man is imprudent in knowledge and prudent in conduct. (4) Abudha (imprudent) and abudha (imprudent)—some man is imprudent in knowledge and imprudent in conduct.
५५७. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-बुधे णाममेगे बुधहियए, बुधे णाममेगे अबुधहियए, अबुधे णाममेगे बुधहियए, अबुधे णाममेगे अबुधहियए।
___ ५५७. पुरुष चार प्रकार के होते हैं-(१) बुध और बुधहृदय-कोई पुरुष आचरण से बुध (विद्वान व ॐ सत्-क्रिया वाला) होता है और हृदय से भी बुध (विवेकशील) होता है; (२) कोई आचरण से बुध होता ॥ म है, किन्तु हृदय से अबुध (अविवेकी) होता है; (३) कोई आचरण से अबुध होता है, किन्तु हृदय से बुध + होता है: और (४) कोई आचरण से भी अबुध और हृदय से भी अबुध होता है।
557. Purush (men) are of four kinds-(1) Budha (prudent) and budhahridaya (prudent in sentiment)-some man is prudent in conduct # (learned and immaculate in conduct) and prudent in sentiment as well.
(2) Budha (prudent) and abudhahridaya (imprudent in sentiment)some man is prudent in conduct and imprudent in sentiment. (3) Abudha (imprudent) and budhahridaya (prudent in sentiment), some man is imprudent in conduct and prudent in sentiment. 4 (4) Abudha (imprudent) and abudhahridaya (imprudent in sentiment)
some man is imprudent in body and imprudent in sentiment as well. म अनुकम्पक-पद ANUKAMPAR-PAD
५५८. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-आयाणुकंपए णाममेगे णो पराणुकंपए, ॐ पराणुकंपए णाममेगे णो आयाणुकंपए, एगे आयाणुकंपएवि पराणुकंपएवि, एगे णो आयाणुकंपए
णो पराणुकंपए।
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स्थानांगसूत्र (२)
(36)
Sthaananga Sutra (2)
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