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तिर्यक्-पद TIRYAK-PAD (SEGMENT OF ANIMALS)
५५०. चउबिहा चउप्पया पण्णत्ता, तं जहा-एगखुरा, दुखुरा, गंडीपदा, सणप्फया।
५५०. चतुष्पद (चार पैर वाले) तिर्यंच जीव चार प्रकार के होते हैं-(१) एक खुर वाले-घोड़े, गधे आदि; (२) दो खुर वाले-गाय, भैंस, भेड़, बकरी आदि; (३) गण्डीपद-सुनार की एरण की तरह कठोर चर्ममय गोल पैर वाले हाथी, ऊँट, गैंडा आदि; और (४) स-नख-पद-लम्बे तीक्ष्ण नाखून वाले शेर, चीता, कुत्ता, बिल्ली आदि। ____550. Chatushpad tiryanch (quadruped animals) are of four kinds(1) egakhura (with single hoof)-horse, donkey etc., (2) dokhura (with two hooves)-cow, buffalo, lamb, goat etc., (3) gandipad (with large round anvil shaped feet with hard skin)-elephant, camel, rhinocerous etc. and (4) sanapphaya (with long sharp claws)—lion, leopard, dog, cat etc.
५५१. चउब्विहा पक्खी पण्णत्ता, तं जहा-चम्मपक्खी, लोमपक्खी, समुग्गपक्खी, विततपक्खी।
५५१. पक्षी चार प्रकार के होते हैं-(१) चर्मपक्षी-चमड़े के पांखों वाले चमगादड़ आदि, (२) रोमपक्षी-रोममय पांखों वाले हंस, तोते, कौए आदि, (३) समुद्गपक्षी-जिसके पंख पेटी के समान खुलते और बन्द होते हैं, और (४) विततपक्षी-जिसके पंख सर्वदा फैले रहते हैं।
551. Pakshi (birds) are of four kinds—(1) charmapakshi—having wings of skin, like a bat, (2) romepakshi-having fibrous or feathery wings like swan, parrot and crow, (3) samudgpakshi-having wings that open close like a box, and (4) vitatpakshi-having wings that remain spread always.
विवेचन-चर्म पक्षी और रोम पक्षी तो मनुष्य क्षेत्र में पाये जाते हैं, किन्तु समुद्गपक्षी और विततपक्षी मनुष्य क्षेत्र से बाहरी द्वीपों और समुद्रों में पाये जाते हैं। (संस्कृत टीका पत्र २५९)
Elaboration-Charmapakshi and romepakshi are available in the area inhabited by humans and samudgpakshi and vitatpakshi are available in islands and seas beyond the area inhabited by humans. (Sanskrit Tika, leaf 259) __५५२. चउबिहा खुड्डपाणा पण्णत्ता, तं जहा-बेइंदिया, तेइंदिया, चरिंदिया, संमुच्छिम-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया। ___५५२. क्षुद्र प्राणी (छोटे प्राणी अथवा जिनकी अगले भव में मुक्ति सम्भव नहीं हो) चार प्रकार के होते हैं-(१) द्वीन्द्रिय जीव, (२) त्रीन्द्रिय जीव, (३) चतुरिन्द्रिय जीव, और (४) सम्मूर्छिम पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिक जीव।
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| चतुर्थ स्थान : चतुर्थ उद्देशक
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Fourth Sthaan : Fourth Lesson
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