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of karmas like trapu gola (ball of tin), (3) having still heavier bondage of karmas like tamra gola (ball of copper) and (4) having heaviest bondage of karmas like sheesh gola (ball of lead).
विवेचन-इस सूत्र में गोले के दृष्टान्त से दो बातें सूचित की हैं। ये चारों गोले घनत्व की अपेक्षा के क्रमशः एक-दूसरे से अधिक भारी होते हैं, किन्तु ताप सहने की क्षमता की अपेक्षा एक-दूसरे से उत्तरोत्तर कमजोर होते हैं। अर्थात् लोहे के गोले से रांगा, रांगा से तांबा व तांबा से सीसा बहुत भारी होता है। उसी प्रकार साधकों की चार स्थिति होती है। लोहे के गोले के समान सामान्य कर्म भार वाला 9
और सीसे के गोले के समान सबसे अधिक सघन कर्मों वाला। जिसको जितना अधिक सघन कर्मबंध होगा, वह आत्मा उतना ही अधिक शीघ्र उत्तेजित होने वाला, अधीर, असहनशील होगा। इस प्रकार गोलों की ताप सहने की क्षमता से तुलना करना चाहिए। (हिन्दी टीका, पृ. १०६६, टीका पत्र २५९)
Elaboration-With the analogy of a ball this aphorism informs of two things. The four types of balls are of increasingly higher density but have melting points in decreasing order. This means that a tin ball is heavier than an iron ball, a copper ball is heavier than a tin ball, and a lead ball is heavier than a copper ball. Aspirants are also of these four kinds, with least density of karmas like an iron ball to highest density of karmas like a lead ball. Higher the density of karmas, easier the person gets excited, impatient and intolerant. These attributes should be compared with the melting points of the said balls. (Hindi Tika p. 1066%3B Tika leaf 259)
५४७. चत्तारि गोला पण्णत्ता, तं जहा-हिरण्णगोले, सुवण्णगोले, रयणगोले, वयरगोले।
एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-हिरण्णगोलसमाणे जाव (सुवण्णगोलसमाणे, रयणगोलसमाणे), वयरगोलसमाणे।
५४७. गोले चार प्रकार के होते हैं-(१) हिरण्य-(चाँदी) गोला, (२) सुवर्ण-गोला, (३) रत्न-गोला, और (४) वज्र-गोला। इसी प्रकार पुरुष भी चार के होते हैं-(१) हिरण्यगोल समान, (२) सुवर्णगोल समान, (३) रत्नगोल समान, और (४) वज्रगोल समान।
547. Golas (balls) are of four kinds-(1) hiranya gola (ball of silver), (2) suvarna gola (ball of gold), (3) ratna gola (ball of gems) and (4) vajra gola (ball of diamond). In the same way men are also of four kinds(1) like hiranya gola (ball of silver), (2) like suvarna gola (ball of gold), (3) like ratna gola (ball of gems) and (4) like vajra gola (ball of diamond).
विवेचन-टीकाकार ने इस सूत्र की व्याख्या अनेक प्रकार से करने की सूचना की है। जैसे–चाँदी के गोत के बराबर आकार वाला सोने का गोला अधिक मूल्य और भार वाला, उससे भी रत्न और वज्र के
| चतुर्थ स्थान : चतुर्थ उद्देशक
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Fourth Sthaan : Fourth Lesson
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