________________
B555555555555555555555555555555555555
)
))
))))
)))
))
)))
ॐ (हीरा) का गोला उत्तरोत्तर अधिक मूल्य एवं भार वाला होता है। वैसे ही चारों गोलों के समान पुरुष के
भी गुण, समृद्धि, हृदय की निर्मलता और पूज्यता सन्मान आदि की अपेक्षा उत्तरोत्तर श्रेष्ठ होते हैं। कहते - ॐ हैं चाँदी का पात्र जल से धोने मात्र से शुद्ध हो जाता है। स्वर्णपात्र पर किसी खट्टे-मीठे पदार्थ का प्रभाव म चाँदी से भी कम होता है। रत्नपात्र पर किसी भी दूषित पदार्थ का प्रभाव नहीं पड़ता। हीरा अपनी
कठोरता व सुदृढ़ता के लिए प्रसिद्ध है। एरण पर रखकर धन का प्रहार करने पर भी वह टूटता नहीं, ॐ लोहे में गड़ जाता है, किन्तु दूध और दूब से छिल जाता है। अर्थात् अति कठोरता होते हुए भी कोमल के म स्पर्श मात्र से कट जाता है। श्रेष्ठ पुरुष में इसी प्रकार उत्तरोत्तर गुणों की श्रेष्ठता होती है। (हिन्दी टीका, ॐ पृष्ठ १०६७)
Elaboration-The commentator (Tika) has informed of many interpretations of this aphorism. For example-For the same size of a silver ball a gold ball is heavier and costlier. A gem ball and a diamond ball are progressively higher in weight and cost. In the same way men similar to these four balls are increasingly better in virtues, wealth, inner purity, respect, honour and other such qualities. It is said that a silver bowl gets clean when washed with water. The effect of sour and sweet things on gold is even less than silver. A gem-bowl is not effected by any contaminated thing. Diamond is known for its hardness and toughness. When placed on an iron base and hammered it does not 41 shatter but dents the iron. But it can be ground by milk and grass indicating that although hard it can be cut by soft touch. A noble person has qualities in a similar fashion in ascending order. (Hindi Tika, p. 1067) पत्र-पद PATRA-PAD (SEGMENT OF SHARP EDGE)
५४८. चत्तारि पत्ता पण्णत्ता, तं जहा-असिपत्ते, करपत्ते, खुरपत्ते, कलंबचीरियापत्ते।
एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-असिपत्तसमाणे, जाव (करपत्तसमाणे, * खुरपत्तसमाणे), कलंबचीरियापत्तसमाणे।
५४८. पत्र-(धार वाले फलक) चार प्रकार के होते हैं-(१) असिपत्र-(तलवार का धारदार पतला भाग), (२) करपत्र- (लकड़ी चीरने वाली करोंत का पत्र), (३) क्षुरपत्र-(छुरा का धारदार भाग), और म (४) कदम्बचीरिका पत्र।
इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते हैं-(१) असिपत्र समान, (२) करपत्र समान, (३) क्षुरपत्र ) समान, और (४) कदम्बचीरिका-पत्र समान।
548. Patra (sharp edges) are of four kinds—(1) asipatra (edge of a
ord), (2) karapatra (edge of a saw-blade), (3) kshurapatra (edge of a razor) and (4) Kadamb-chirika patra (grass-like blunt edge).
855555555555555555554)
| स्थानांगसूत्र (२)
(30)
Sthaananga Sutra (2)
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org