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पुक्खलसंवट्टए णं महामेहे एगेणं वासेणं दसवाससहस्साइं भावेति । पज्जुण्णे णं महामेहे एगेणं वासेणं दसवाससयाई भावेति । जीमूते णं महामेहे एगेणं वासेणं दसवासाइं भावेति । जिम्हे णं महामे बहूहिं वासेहिं एगं वासं भावेति वा णं वा भावेति ।
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५४०. मेघ चार प्रकार के होते हैं - ( १ ) पुष्कलसंवर्तक मेघ (पुष्कलावर्त), (२) प्रद्युम्न मेघ, (३) जीमूत मेघ, और (४) जिम्ह मेघ । (१) पुष्कलसंवर्तक महामेघ - एक वर्षा से दश हजार वर्ष तक भूमि को जल से स्निग्ध (उपजाऊ ) कर देता है, (२) प्रद्युम्न महामेघ - एक वर्षा से एक हजार वर्ष तक भूमि को जल से स्निग्ध कर देता है, (३) जीमूत महामेघ - एक वर्षा से दश वर्ष तक भूमि को जल से स्निग्ध कर देता है, और ( ४ ) जिम्ह महामेघ - बहुत बार बरस कर भी एक वर्ष तक भूमि को जल से स्निग्ध करता है और नहीं भी करता है।
540. Megh (clouds) are of four kinds-(1) Pushkalasmavartak megh, (2) Pradyumna megh, (3) Jeemut megh and (4) Jimha megh. (1) Pushkalasmavartak megh-with just one rain this cloud makes the land fertile for ten thousand years. (2) Pradyumna megh-with just one rain it makes the land fertile for one thousand years. (3) Jeemut meghwith just one rain it makes the land fertile for ten years. (4) Jimha megh-with numerous rains it may or may not make the land fertile even for one year.
विवेचन - टीकाकार
उक्त चारों प्रकार के मेघों के समान पुरुषों के भंग स्वयं जान लेने की सूचना की है। जिसे इस प्रकार से जानना चाहिए - (१) कोई दानी या उपदेशक पुष्कलसंवर्तक मेघ के समान एक बार के दान से या उपदेश से बहुत लम्बे काल तक याचकों को और जिज्ञासुओं को तृप्त कर देता है; (२) कोई दानी या उपदेशक प्रद्युम्न मेघ के समान बहुत काल तक दान या उपदेश देकर अर्थी और जिज्ञासुओं को तृप्त कर देता है; (३) कोई दानी या उपदेशक जीमूत मेघ के समान कुछ वर्षों के लिए दान या उपदेश देकर तृप्त करता है; एवं (४) कोई दानी या उपदेष्टा जिम्ह मेघ के समान अनेक बार दिये गये दान या उपदेश से एक वर्ष के लिए तृप्त करता भी है और कभी नहीं कर पाता है।
Elaboration-The commentator informs that like clouds the aforesaid 5 quads should be applied to men. It would read as follow – ( 1 ) Like 5 Pushkalasmavartak megh some donor or preacher satisfies seekers for a 卐 very long period with just one donation or sermon. (2) Like Pradyumna megh some donor or preacher satisfies seekers for a long period with just one donation or sermon. (3) Like Jeemut megh some donor or preacher satisfies seekers for a few years with just one donation or sermon. (4) Like Jimha megh some donor or preacher may or may not satisfy seekers for one year even with many donations or sermons.
स्थानांगसूत्र (२)
(22)
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Sthaananga Sutra (2)
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