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५३६. मेघ चार प्रकार के होते हैं-(१) कोई मेघ समय पर बरसता है, किन्तु असमय में नहीं है बरसता; (२) कोई मेघ असमय में बरसता है, किन्तु समय पर नहीं बरसता; (३) कोई मेघ समय पर भी बरसता है और असमय में भी बरसता है; तथा (४) कोई मेघ न समय पर ही बरसता है और न 5 असमय में ही बरसता है।
इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते हैं-(१) कोई पुरुष समय पर (अवसर आने पर) दानादि देता है, किन्तु असमय में नहीं देता; (२) कोई असमय में, (बिना प्रसंग के) दानादि देता है, किन्तु समय पर (प्रसंग पर) नहीं देता; (३) कोई समय पर भी दानादि देता है और असमय में भी देता है; तथा ऊ (४) कोई न समय पर ही देता है और न असमय में ही देता है।
536. Megh (clouds) are of four kinds—(1) Some cloud rains timely and does not rain untimely. (2) Some cloud rains untimely but does not rain timely. (3) Some cloud rains timely as well as untimely. (4) Some cloud neither rains timely nor untimely.
In the same way purush (men) are of four kinds—(1) Some man rains 45 timely (donates at the right opportunity) but does not rain untimely (donate without right opportunity). (2) Some man rains untimely
(donates without right opportunity) but does not rain timely (donate at i F the right opportunity). (3) Some man rains timely as well as untimely h. (donates at and also without right opportunity). (4) Some man neither
rains timely nor untimely (does not donate at or without right opportunity).
५३७. चत्तारि मेहा पण्णत्ता, तं जहा-खेत्तवासी णाममेगे णो अखेत्तवासी, अखेत्तवासी णाममेगे णो खेत्तवासी, एगे खेत्तवासीवि अखेत्तवासीवि, एगे णो खेत्तवासी णो अखेत्तवासी। ___ एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-खेत्तवासी णाममेगे णो अखेत्तवासी, अखेत्तवासी है
णाममेगे णो खेत्तवासी, एगे खेत्तवासीवि अखेत्तवासीवि, एगे णो खेत्तवासी णो अखेत्तवासी। __ ५३७. मेघ चार प्रकार के होते हैं-(१) कोई मेघ क्षेत्र-(उपजाऊ भूमि) पर बरसता है, किन्तु म अक्षेत्र-(ऊसरभूमि) पर नहीं बरसता है; (२) कोई अक्षेत्र पर बरसता है, किन्तु क्षेत्र पर नहीं बरसता; (३) कोई क्षेत्र पर भी बरसता है और अक्षेत्र पर भी बरसता है; तथा (४) कोई न क्षेत्र पर बरसता है
और न अक्षेत्र पर बरसता है। ___ इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते हैं-(१) कोई पुरुष क्षेत्र पर बरसता (दया और दान के पात्र को दान देता है), किन्तु अक्षेत्र (अपात्र) पर नहीं बरसता; (२) कोई अक्षेत्र (अपात्र) पर बरसता है, किन्तु क्षेत्र (सुपात्र) पर नहीं बरसता; (३) कोई क्षेत्र पर भी बरसता है और अक्षेत्र पर भी बरसता है; एवं (४) कोई न क्षेत्र पर बरसता है और न अक्षेत्र पर बरसता है।
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| चतुर्थ स्थान : चतुर्थ उद्देशक
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Fourth Sthaan : Fourth Lesson
1岁步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步园
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