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___ एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-गज्जित्ता णाममेगे णो वासित्ता, वासित्ता णाममेगे णो गज्जित्ता, एगे गज्जित्तावि वासित्तावि, एगे णो गज्जित्ता णो वासित्ता।
५३३. मेघ चार प्रकार के होते हैं-(१) कोई मेघ (बादल) गरजता है, किन्तु बरसता नहीं; (२) कोई मेघ बरसता है, किन्तु गरजता नहीं; (३) कोई मेघ गरजता भी है और बरसता भी है; तथा . (४) कोई मेघ न गरजता है और न बरसता ही है। ____ इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते हैं-(१) कोई पुरुष गरजता है, किन्तु बरसता नहीं। अर्थात् बड़े-बड़े कामों को करने की उद्घोषणा व प्रतिज्ञाएँ करता है, किन्तु उन कामों को पूरा नहीं करता है; (२) कोई बरसता है, कार्यों को पूर्ण करता है, किन्तु गरजता नहीं, उद्घोषणा नहीं करता; (३) कोई कार्यों को करने की गर्जना भी करता है और उन्हें पूरा भी करता है; तथा (४) कोई कार्यों को करने की न घोषणा करता है और न उन्हें पूरा करता ही है।
533. Megh (clouds) are of four kinds—(1) Some cloud thunders but i does not rain. (2) Some cloud rains but does not thunder. (3) Some cloud thunders as well as rains. (4) Some cloud neither rains nor thunders.
In the same way purush (men) are of four kinds—(1) Some man thunders but does not rain. In other words he boasts and promises about i great deeds but does not accomplish them. (2) Some man rains but does
not thunder. In other words he acts and does not boast. (3) Some man 4 i thunders as well as rains. In other words he acts as well as boasts. (4) Some man neither rains nor thunders. In other words he neither acts nor boasts.
५३४. चत्तारि मेहा पण्णत्ता, तं जहा-गज्जित्ता णाममेगे णो विज्जुयाइत्ता, विज्जुयाइत्ता । णाममेगे णो गज्जित्ता, एगे गज्जित्तावि विज्जुयाइत्तावि, एगे णो गज्जित्ता णो विज्जुयाइत्ता।
एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-गज्जित्ता णाममेगे णो विज्जुयाइत्ता, विज्जुयाइत्ता णाममेगे णो गज्जित्ता, एगे गज्जित्तावि विज्जुयाइत्तावि, एगे णो गज्जित्ता णो विज्जुयाइत्ता। __५३४. मेघ चार प्रकार के होते हैं-(१) कोई मेघ गरजता है, किन्तु चमकता नहीं है; (२) कोई 5 मेघ चमकता है, किन्तु गरजता नहीं है; (३) कोई मेघ गरजता भी है और चमकता भी है; और (४) कोई मेघ न गरजता है न चमकता है।
इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते हैं-(१) कोई पुरुष दानादि करने की घोषणा गर्जना-तो म करता है, किन्तु चमकता नहीं अर्थात् देता नहीं है; (२) कोई दानादि देकर चमकता तो है, किन्तु
घोषणा नहीं करता; (३) कोई गर्ज कर घोषणाएँ भी करता है और देकर चमकता भी है; तथा । । (४) कोई न घोषणा करता है और न देकर के चमकता ही है।
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| चतुर्थ स्थान : चतुर्थ उद्देशक
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Fourth Sthaan : Fourth Lesson
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