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85555555555555555555555555555555555555 15 of numerous instruments, like orchestral sound. (9) Kakani-low pitched 4 fi singing. (10) Kinkinisvar-tinkling sound of small bells.
३. दस इंदियत्था तीता पण्णत्ता, तं जहा-देसेणवि एगे सद्दाइं सुणिंसु सवेणवि एगे सद्दाई सुणिंसु। देसेणवि एगे रूवाई पासिंसु, सब्वेणवि एगे रूवाइं पासिंसु। (दसेणवि एगे गंधाई जिंधिंसु, # सवेणवि एगे गंधाइं जिंधिंसु। देसेणवि एगे रसाइं आसादेंसु सव्वेणवि एगे रसाइं आसा-सु। देसेणविक है एगे फासाइं पडिसंवेदेंसु) सव्वेणवि एगे फासाइं पडिसंवेदेंसु।।
३. इन्द्रियों के अतीतकालीन विषय (ग्राह्य पदार्थ) दस हैं, जैसे-(१) जीव ने शरीर के एक (भाग) : से भी शब्द सुने थे। (२) अनेक जीवों ने शरीर के सर्वदेश (समस्त भागों) से भी शब्द सुने थे। # (३) अनेक जीवों ने शरीर के एक देश से भी रूप देखे थे। (४) अनेक जीवों ने शरीर के सर्वदेश से भी त रूप देखे थे। (५) अनेक जीवों ने शरीर के एक देश से भी गन्ध सूंघे थे। (६) अनेक जीवों ने शरीर के 5
सर्व देश से भी गन्ध सूंघे थे। (७) अनेक जीवों ने शरीर के एक देश से भी रस चखे थे। (८) अनेक जीवों ने शरीर के सर्व देश से भी रस चखे थे। (९) अनेक जीवों ने शरीर के एक देश से भी स्पर्शों का फ़ वेदन किया था। (१०) अनेक जीवों ने शरीर के सर्व देश से भी स्पर्शों का वेदन किया था।
3. There are ten indriyarth (subjects of sense organs) related to the past-(1) Some jivas (living beings) experienced sounds from one part of the body (deshatah). (2) Some jivas (living beings) experienced sound 41 from all parts of the body (sarvatah). (3) Some jivas experienced forms from one part of the body. (4) Some jivas experienced forms from all parts of the body. (5) Some jivas experienced odours from one part of the body. (6) Some jivas experienced odours from all parts of the body. (7) Some jivas experienced taste from one part of the body. (8) Some jivas experienced taste from all parts of the body. (9) Some jivas experienced touch from one part of the body. (10) Some jivas experienced touch from all parts of the body.
विवेचन-टीकाकार ने 'देशतः' और 'सर्वतः' के अनेक अर्थ किये हैं। जैसे-बहुत-से शब्दों के समूह में किसी को सुनना और किसी को न सुनना देशतः सुनना है। सबको सुनना सर्वतः सुनना है। अथवा देशतः सुनने का अर्थ इन्द्रियों के एक देश से अर्थात् श्रोत्र से सुनना है। संभिन्नश्रोतोलब्धि वाला आत्मा सभी इन्द्रियों से शब्द सुनता है। अथवा एक कान से सुनना देशतः और दोनों कानों से सुनना सर्वतः सुनना कहलाता है।
Elaboration-The commentator (Tika) has interpreted the terms deshatah and sarvatah many ways. To hear some sound and not another from a group of sounds is deshatah (partially); and to hear all of them is sarvatah (fully). To hear some sound from one part of the body is ) deshatah and to hear from all parts of the body is sarvatah. A person
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दशम स्थान
(467)
Tenth Sthaan
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