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म १२०. देवेन्द्र देवराज ईशान की सात सेनाएँ और सात सेनापति हैं-सेनाएँ-(१) पदातिसेना
यावत्। सेनापति-(१) लघुपराक्रम-पदातिसेना का अधिपति। यावत्। (६) महाश्वेत-नर्तकसेना का । अधिपति। (७) रत-गन्धर्वसेना का अधिपति।
120. Ishan Devendra, the king of gods has seven anikas (armies) and E seven anikadhipati (commanders)-Armies (1) Padatanika-foot
soldiers, ...and so on up to... (7) Gandharvanika-singers. The F commanders of these armies are as follows-(1) Laghuparakram
commander of foot soldiers, ...and so on up to... (6) Mahashvetcommander of dancers and (7) Rata-commander of singers.
१२१. (जधा सक्कस्स तहा सव्वेसिं दाहिणिल्लाणं जाव आरणस्स। १२२. जधा ईसाणस्स तहा सव्वेसिं उत्तरिल्लाणं जाव अच्चुतस्स)।
१२१. जिस प्रकार शक्र के सेना और सेनापति हैं, उसी प्रकार आरण आदि सभी दक्षिणेन्द्रों की सात-सात सेनाएँ और सात-सात सेनापति हैं। १२२. जिस प्रकार ईशान इन्द्र की सेना और सेनापति । हैं, उसी प्रकार अच्युत आदि सभी उत्तरेन्द्रों की भी सात-सात सेनाएँ और सात-सात सेनापति हैं। A (स्थान ५ सूत्र ५७ से ६७ में पाँच सेनाओं का वर्णन है) ।
__121. As Shakra Devendra, the king of gods has seven armies and seven commanders in the same way all overlords of south up to Aran kalp also have seven armies and seven commanders each. 122. As Ishan
Devendra, the king of gods has seven armies and seven commanders in f the same way all overlords of north up to Achyut kalp also have seven Fi armies and seven commanders each. (Sthaan 5, aphorisms 57 to 67 describe
five armies and commanders only) अनीकाधिपति कक्षा-पद ANIKADHIPATI-KAKSHAA-PAD (SEGMENT OF BRIGADES)
१२३. चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो दुमस्स पायत्ताणियाधिपतिस्स सत्त कच्छाओ पण्णत्ताओ, तं जहा-पढमा कच्छा जाव सत्तमा कच्छा।
१२३. असुरेन्द्र, असुरकुमारराज चमर के पदातिसेना के अधिपति द्रुम के सात कक्षाएँ (वर्ग) हैं। है जैसे पहली कक्षा, यावत् सातवीं कक्षा। fi 123. Drum, the commander of foot soldiers of Chamar Asurendra, the king of Asur Kumar gods, has seven kakshaas (brigades)—first to seventh.
१२४. चमरस्स णं असुरिदस्स असुरकुमाररण्णो दुमस्स पायत्ताणियाधिपतिस्स पढमाए कच्छाए चउसहि देवसहस्सा पण्णत्ता। जावतिया पढमा कच्छा तब्विगुणा दोच्चा कच्छा। जावतिया दोच्चा कच्छा तब्विगुणा तच्चा कच्छा। एवं जाव जावतिया छट्ठा कच्छा तब्विगुणा सत्तमा कच्छा।
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| सप्तम स्थान
(335)
Seventh Sthaan |
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