________________
295 59595955 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 55 5955955 5 5952
卐
卐
११७. (जधा धरणस्स तथा सव्वेसिं दाहिणिल्लाणं जाव घोसस्स । ११८. जधा भूताणंदस्स
5 तथा सव्वेसिं उत्तरिल्लाणं जाव महाघोसस्स) ।
117. As Dharan has seven armies and seven commanders in the same way all Dakshinadhipatis (the overlords of abode dwelling gods of the south) namely Venudev ...and so on up to... Ghosh also have seven armies and seven commanders. 118. As Bhootanand has seven armies and seven commanders in the same way all Uttarendras (the overlords of north) namely Venudali ...and so on up to... Mahaghosh also have seven armies and seven commanders.
फ्र
११७. जिस प्रकार धरण की सेना और सेनापति हैं, उसी प्रकार दक्षिण दिशा के भवनवासी देवों
के इन्द्र वेणुदेव यावत् । घोष की भी सात-सात सेनाएँ और सात-सात सेनापति हैं । ११८. जिस प्रकार 5 भूतानन्द की सेना और सेनापति हैं, उसी प्रकार उत्तर दिशा के भवनवासी देवों के इन्द्र, वेणुदालि यावत् महाघोष की भी सात-सात सेनाएँ और सात-सात सेनापति हैं।
जहा
११९. सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो सत्त अणिया, सत्त अणियाहिवती पण्णत्ता, तं पायत्ताणिए जाव रहाणिए, णट्टाणिए, गंधव्वाणिए । हरिणेगमेसी पायत्ताणियाधिपती जाव माढरे धाणियाधिपती, सेते णट्टाणियाहिवती, तुंबुरु गंधव्वाणियाधिपती
११९. देवेन्द्र देवराज शक्र की सात सेनाएँ और सात सेनापति हैं-सेनाएँ - ( १ ) पदातिसेना यावत् । (५) रथसेना, (६) नर्तकसेना, (७) गन्धर्वसेना । सेनापति - (१) हरिनैगमेषी - पदातिसेना का अधिपति यावत् । (५) माढर - रथसेना का अधिपति । (६) श्वेत - नर्तकसेना का अधिपति । (७) तुम्बुरु - गन्धर्वसेना का अधिपति ।
119. Shakra Devendra, the king of gods has seven anikas ( armies) and seven anikadhipati (commanders)-Armies-(1) Padatanika-foot soldiers, ...and SO on up to... ( 7 ) Gandharvanika-singers. The commanders of these armies are as follows—(1) Harinaigameshi - 5 commander of foot soldiers, (2) Ashvaraj Vayu-commander of horse riders, (3) Hastiraj Airavan-commander of elephant riders, (4) Daamardhi-commander of bull riders, (5) Mathar-commander of charioteers, (6) Shvet-commander of dancers and ( 7 ) Tumburucommander of singers.
तं जहा
१२०. ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरण्णो सत्त अणिया, सत्त अणियाहिवई पण्णत्ता, पात्ताणि जाव गंधव्वाणिए । लहुपरक्कमे पायत्ताणियाहिवती जा महासेते णट्टाणियाहिवती, रते गंधव्वाणियाधिपती ।
स्थानांगसूत्र (२)
(334)
Jain Education International
फफफफफफफफफफफफ
For Private & Personal Use Only
Sthaananga Sutra (2)
फ्र
फ
卐
卐
卐
卐
www.jainelibrary.org