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110. There are six vish parinam (ways a poison acts ) - ( 1 ) Dasht-one 5 5 that acts on being stung or bitten by a venomous being. (2) Bhukta-one 5 that acts when consumed. (3) Nipatit-one that acts when touched to
any part of the body (skin). (4) Mansanusari-one that affects flesh. (5) Shonitanusari-one that affects blood. (6) Asthi-majjanusari-one that affects bones and bone-marrow.
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தத்தித்தபூபூமிதிததமிதிமிதிததமி
१११. प्रश्न छह प्रकार के होते हैं - ( १ ) संशयप्रश्न - संशय दूर करने के लिए पूछना । (२) व्युद्ग्रहप्रश्न - मिथ्याभिनिवेश से दूसरे को पराजित करने के लिए पूछना । (३) अनुयोगीप्रश्न - व्याख्या के लिए पूछना। (४) अनुलोम प्रश्न - कुशल - कामना से पूछना । (५) तथाज्ञानप्रश्न- स्वयं जान हुए 卐 दूसरों की ज्ञानवृद्धि के लिए पूछना। (६) अतथाज्ञानप्रश्न - स्वयं नहीं जानने पर जानने के लिए पूछना।
भी
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111. Prashna (questions) are of six kinds-(1) Samshaya prashnaquestion for removing doubt, (2) vyudgraha prashna-question for 卐 confusing and defeating an opponent, (3) anuyogi prashna-question seeking elaboration, (4) anulom prashna-question to know about फ welfare, ( 5 ) tathajnana prashna-question aimed at educating others, in 5 spite of already knowing the answer, and (6) atathajnana prashnaquestion for knowing the unknown.
प्रश्न- पद PRASHNA PAD (SEGMENT OF QUESTION)
१११. छव्विहे पट्टे पण्णत्ते, तं जहा-संसयपट्टे, बुग्गहपट्टे, अणुजोगी, अणुलोमे, तहणाणे, अतहणाणे ।
5 विरहित-पद VIRAHIT-PAD (SEGMENT OF OMMISSION)
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தமிழழபூபூமிதிததமிழமிழகததி
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११२. चमरचंचा राजधानी में अधिक से अधिक छह मास तक उपपात का विरह ( अन्य देव की उत्पत्ति का व्यवधान) हो सकता है। ११३. प्रत्येक इन्द्र के स्थान में उत्कृष्ट रूप में छह मास तक इन्द्र
5 उपपात का विरह ( अन्य इन्द्र की उत्पत्ति का व्यवधान) हो सकता है । ११४. निचली सातवीं पृथिवी में
उत्कृष्ट रूप से छह मास तक नारकीजीव के उपपात का विरह हो सकता है । ११५. सिद्धगति में उत्कृष्ट फ रूप में छह मास तक सिद्ध जीव 'उपपात का विरह हो सकता है।
११२. चमरचंचा णं रायहाणी उक्कोसेणं छम्मासा विरहिया उववातेणं । ११३. एगमेगे णं
इंदट्ठाणे उक्कोसेणं छम्मासे विरहिते उववातेणं । ११४. अधेसत्तमा णं पुढवी उक्कोसेणं छम्मासा
विरहिता उववातेणं । ११५. सिद्धिगती णं उक्कोसेणं छम्मासा विरहिता उववातेणं ।
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112. In the capital city Chamarachancha there can be an ommission upapat (instantaneous birth) of a god for a maximum period of six months. 113. In the abode of every Indra there can be an omission in upapat of another Indra for a maximum period of six months. 114. In the
षष्ठ स्थान
(265)
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Sixth Sthaan
- 5 5 5 5 55 5 5 55 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5955-2
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