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45 seventh lower world (hell) there can be an omission in upapat of an
infernal being for a maximum period of six months. 115. In the abode of Siddhas (perfected beings or liberated souls) there can be an omission in upapat of a Siddha for a maximum period of six months.
आयुर्बन्ध-पद AYURBANDH-PAD (SEGMENT OF LIFE SPAN BONDAGE) * ११६. छबिहे आउयबंधे पण्णत्ते, तं जहा-जातिणामणिधत्ताउए, गतिणामणिधत्ताउए, # ठितिणामणिधत्ताउए, ओगाहणाणामणिधत्तउए, पएसणामणिधत्ताउए, अणुभागणामणिधत्ताउए। म ११६. आयुष्य का बन्ध छह प्रकार का होता है-(१) जातिनामनिधत्तायु, (२) गतिनामनिधत्तायु,
(३) स्थितिनामनिधत्तायु, (४) अवगाहनानामनिधत्तायु, (५) प्रदेशनामनिधत्तायु, (६) अनुभागनामनिधत्तायु। 4 116. Ayushyabandh (bondage of karmas determining next life span) is
of six kinds—(1) jati-naam-nidhatt-ayu, (2) gati-naam-nidhatt-ayu,
(3) sthiti-naam-nidhatt-ayu, (4) avagahana-naam-nidhatt-ayu, 5 (5) pradesh-naam-nidhatt-ayu and (6) anubhag-naam-nidhatt-ayu. 卐 विवेचन-जिस समय किसी जीव को आयु का बंध होता है, तब वह जाति गति आदि छहों के साथ
निधत्त (गाठ बंधन मय) होता है। अमुक आयु का बंध करने वाला जीव उसके साथ-साथ एकेन्द्रिय ॐ आदि पाँच जातियों में से किसी एक जाति का, नरक आदि चार गतियों में से एक गति का, अमुक
समय की स्थिति काल मर्यादा का, अवगाहना, औदारिक या वैक्रिय शरीर में से किसी एक शरीर का
तथा आयुष्य के प्रदेशों-परमाणु संचयों का और उसके अनुभाव-विपाक शक्ति का भी बंध करता है। के इस प्रकार आयु कर्म के बंध के साथ ये छहों प्रकार का बंध होता है।
Elaboration-When a being acquires bondage of life span determining karma the process includes fixation (nidhatt) of six parameters including 4 jati (species) listed here. A being acquiring life span bondage acquires
simultaneously the bondage of one of the five jatis including ekendriya (one-sensed being), one of the four genuses including narak, specific duration of time (sthiti), space occupation (avagahana) of one of the two
bodies (audarik or vaikriya), specific aggregates of ultimate-particles 4 (pradesh), and specific potency of acquired karma particles (anubhag). 4 Thus bondage of ayushya karma includes these six types of bondage. फ़ पारभविक-आयुर्बन्ध-पद PARBHAVIK AYURBANDH-PAD
(SEGMENT OF LIFE SPAN BONDAGE FOR NEXT BIRTH) ११७. णेरइयाणं छविहे आउयबंधे पण्णत्ते, तं जहा-जातिणामणिहत्ताउए, (गतिणामणिहत्ताइए, ठितिणाम णिहत्ताउए, ओगाहणाणाम णिहत्ताउए, पएसणाम णिहत्ताउए), ॐ अणुभागणाम णिहत्ताउए। ११८. एवं जाव वेमाणियाणं।
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स्थानांगसूत्र (२)
(266)
Sthaananga Sutra (2)
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