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अवचन-पद AVACHAN PAD (SEGMENT OF IGNOBLE WORDS)
१००. णो कप्पइ णिग्गंथाण वा णिग्गंथीण वा इमाई छ अवयणाई वदित्तए, तं जहाअलियवयणे, हीलियवयणे, खिंसितवयणे, फरुसवयणे, गारत्थियवयणे, विउसवितं वा पुणो उदीरत्तए ।
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१००. निर्ग्रन्थ और निर्ग्रन्थियों को छह अवचन - (गर्हित अथवा अयोग्य वचन) बोलना नहीं कल्पता है - (१) अलीकवचन-असत्यवचन । (२) हीलितवचन - दूसरों का अनादर व अवहेलनायुक्त वचन। (३) खिंसितवचन- मर्मवेधी वचन या जिसे सुनकर दूसरा तिलमिला उठे । (४) पुरुषवचन - कठोर वचन । 5 (५) अगारस्थितवचन - बेटा, बेटी आदि गृहस्थावस्था के सम्बन्धसूचक वचन । (६) व्यवसित उदीरकवचन - 5 उपशान्त कलह को उभाड़ने वाला वचन ।
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कल्पप्रस्तार - पद KALP PRASTAAR-PAD (SEGMENT OF FORMULATING ATONEMENTS)
१०१. छ कप्पस्स पत्थारा पण्णत्ता, तं जहा पाणइवायस्स वयमाणे, मुसावायं वयमाणे, अदिन्नादाणं वायं वयमाणे, अविरतिवायं वयमाणे, अपुरिसवायं वयमाणे, दासवायं वयमाणे - इच्चेते छ कप्परस पत्थारे पत्थारेत्ता सम्ममपडिपूरेमाणे तट्टाणपत्ते ।
100. Shraman Nirgranth and Nirgranthi (male and female ascetics) 5 are not allowed to utter six avachan (despicable or ignoble words) (1) Aleek vachan-false statement, (2) heelit vachan-insulting or disrespectful statement, ( 3 ) khimsit vachan-piercing_statement, (4) purush vachan — harsh statement, ( 5 ) agaarasthit vachan - kinship 5 expressions like son and daughter, suitable only for householders and 5 (6) vyavasit udirak vachan — provoking statement inflaming pacified 5 discontent.
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कल्प के इन छह प्रस्तारों आरोपों को स्थापित कर यदि कोई साधु उन्हें सम्यक् प्रकार से प्रमाणित न कर सके तो वह उस स्थान को प्राप्त होता है, अर्थात् आरोपित दोष के प्रायश्चित्त का भागी आरोप लगाने वाला स्वयं होता है।
१०१. कल्प (साधु - आचार) के छह प्रस्तार हैं - ( १ ) प्राणातिपात सम्बन्धी आरोपात्मक वचन बोलने पर । (२) मृषावाद सम्बन्धी आरोपात्मक वचन बोलने पर । (३) अदत्तादान सम्बन्धी आरोपात्मक वचन बोलने पर। (४) अब्रह्मचर्य सम्बन्धी आरोपात्मक वचन बोलने पर । (५) पुरुषत्त्व - हीनता (नपुंसकता) के 5 आरोपात्मक वचन बोलने पर। (६) दास (दासी पुत्र) होने का आरोपात्मक वचन बोलने पर ।
101. There are six prastar (formulation of atonements) related to kalp (ascetic praxis)-(1) On making a statement accusing someone of killing beings (pranatipat). (2) On making a statement accusing someone of telling a lie (asatya). (3) On making a statement accusing someone of stealing (adattadan ). ( 4 ) On giving statement accusing someone of nonस्थानांगसूत्र (२)
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Sthaananga Sutra (2)
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