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२३६. एगमेगे णं इंदट्ठाणे पंच सभाओ पण्णत्ताओ, तं जहा-सभासुहम्मा, [ उववातसभा, म अभिसेयसभा, अलंकारियसभा ], ववसायसभा।
२३५. चमरचंचा राजधानी में पाँच सभाएँ हैं-(१) सुधर्मासभा-यहाँ इन्द्र का दरबार लगता है, ॐ तथा तीन प्रकार की परिषदें लगती हैं।, (२) उपपातसभा-उत्पत्तिस्थान, (३) अभिषेकसभा-इन्द्र का
राज्याभिषेक का स्थान, (४) अलंकारिकसभा-इन्द्र व देवों का शरीर-सज्जा भवन, (५) व्यवसायसभादेवों का अध्ययन या तत्त्वनिर्णय का स्थान।
२३६. इसी प्रकार एक-एक इन्द्रस्थान (जहाँ इन्द्र रहता है) में पाँच-पाँच सभाएँ हैंॐ (१) सुधर्मासभा, (२) उपपातसभा, (३) अभिषेकसभा, (४) अलंकारिकसभा और (५) व्यवसायसभा। म (इनका विशेष वर्णन सचित्र राजप्रश्नीय सूत्र के सूर्याभ देव के प्रकरण में देखें)
235. In the capital city Chamarachancha there are five assembly 4 halls—(1) Sudharma sabha—this is the court of Indra and is used 4 4 for three parishads (meetings), (2) Upapata sabha-hall of birth, 41
(3) Abhishek sabha-Indra's coronation hall, (4) Alankarik sabhaadornment hall and (5) Vyavasaya sabha-study and deliberation hall.
236. In the same way at each abode of Indra (overlord of gods) there are five assembly halls-(1) Sudharma sabha, (2) Upapata sabha, (3) Abhishek sabha, (4) Alankarik sabha and (5) Vyavasaya sabha. (for detailed description see the Suryabh god portion of Illustrated Rajaprashniya Sutra) नक्षत्र-पद NAKSHATRA-PAD (SEGMENT OF CONSTELLATIONS) - २३७. पंच णक्खत्ता पंचतारा पण्णत्ता, तं जहा-धणिट्ठा, रोहिणी, पुणबसू, हत्थो, विसाहा।
२३७. पाँच नक्षत्र पाँच-पाँच तारा वाले हैं-(१) धनिष्ठा, (२) रोहिणी, (३) पुनर्वसु, (४) हस्त, (५) विशाखा।
237. Five nakshtras (constellations) have five stars each(1) Dhanishtha (Belta Delphini; the 24th), (2) Rohini (Aldebaran; the 4th), (3) Punarvasu (Beta Geminorum; the 7th), (4) Hasta (Delta
Corvi; the 13th) and (5) Vishakha (Alpha Librae; the 16th). ॐ पापकर्म-पद PAAP KARMA-PAD (SEGMENT OF DEMERITORIOUS KARMAS)
२३८. जीवा णं पंचट्ठाणणिव्वत्तिए पोग्गले पावकम्मत्ताए चिणिंसु वा चिणंति वा चिणिस्संति वा, तं जहा-एगिंदियणिव्वत्तिए, [बेइंदियणिबत्तिए, तेइंदियणिव्वत्तिए, चउरिदियणिव्वत्तिए] पंचिंदियणिव्वत्तिए।
एवं-चिण, उवचिण, बंध, उदीर, वेद, तह णिज्जरा चेवा।
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पंचम स्थान : तृतीय उद्देशक
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Fifth Sthaan : Third Lesson
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