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संलग्नता । ( ४ ) समय - आनन्तर्य - समय की निरन्तरता । (५) सामान्य - आनन्तर्य - जिसमें उत्पाद व्यय 5 आदि पर्याय विशेष की विवक्षान हो । सामान्य निरन्तरता । [ विशेष-छेदन और आनन्तर्य के सम्बन्ध में विशेष स्पष्टीकरण हेतु हिन्दी टीका भाग- २ पृष्ठ २२२ देखें ।]
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destruction,
216. Anantarya (absence of separation or interruption) is of five 5 kinds— (1) utpad-anantarya-uninterrupted generation, (2) vyayaanantarya-uninterrupted (3) pradesh-anantaryauninterrupted sections, (4) samaya-anantarya-uninterrupted time and i ( 5 ) samanya-anantarya- general non-interruption with regard to any specific process including generation and destruction. (for more details about chhedan and anantarya refer to Hindi Tika, part-2, p. 222)
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अनन्त - पद ANANT-PAD (SEGMENT OF THE ENDLESS OR INFINITE)
२१७. पंचविधे अणंतए पण्णत्ते, तं जहा - णामाणंतए, ठवणाणंतए, दव्वाणंतए, गणणाणंतए, पदेसाणंतए ।
अहवा - पंचविहे अणंतर पण्णत्ते, तं जहा- एगतोऽणंतए, दुहओणंतए, देसवित्थाराणंतए, सव्ववित्थाराणंतए, सासयाणंतए ।
पंचम स्थान : तृतीय उद्देशक
२१७. अनन्तक पाँच प्रकार का होता है- ( १ ) नाम - अनन्तक - जिसका नाम अनन्त है, जैसे अनन्तनाथ, अनन्त चौदस । (२) स्थापना - अनन्तक - किसी सचित्त - अचित्त 'अनन्त' वस्तु का चित्र, मूर्ति 5 या नक्शा आदि । (३) द्रव्य - अनन्तक- जीव, पुद्गल परमाणु, और काल ये तीन द्रव्य - अनन्तक हैं। (४) गणना - अनन्तक - जिस गणना का अन्त न हो, ऐसी संख्याविशेष । ( ५ ) प्रदेश - अनन्तक- जिसके फ प्रदेश अनन्त हों, जैसे आकाश के प्रदेश अनन्त हैं।
अथवा अनन्तक पाँच प्रकार का होता है
( १ ) एकतः अनन्तक - लम्बाई की अपेक्षा से आकाश प्रदेश की एक श्रेणि में अनन्त प्रदेश है। (२) द्विधा अनन्तक - लम्बाई और चौड़ाई दोनों की अपेक्षा से जो अनन्त हो । (३) देश विस्तार अनन्तक- 5 पूर्वादि किसी एक दिशा के विस्तार में फैले हुए आकाश-प्रदेशों की अनन्तता । ( ४ ) सर्व विस्तार अनन्तक- सम्पूर्ण आकाश प्रदेशों की जो अनन्तता है । ( ५ ) शाश्वत अनन्तक - आदि अन्त रहित, स्थिति रहित जीवादि शाश्वत पदार्थ शाश्वत अनन्तक हैं।
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217. Anantak ( endless or infinite ) is of five kinds – ( 1 ) naam 5 anantak-whose name is Anantak, (2) sthapana-anantak-picture, image or drawing of some living or non-living infinite thing, (3) dravyaanantak—soul, matter and time are endless entities, (4) gananaanantak—an endless number ( numerical infinite) and (5) pradeshanantak-having endless space-points, such as space.
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Fifth Sthaan: Third Lesson
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