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(stool, urine, phlegm, and body and nose scum) at a spot free of living beings. जीव-पद JIVA-PAD (SEGMENT OF LIVING BEINGS)
२०४. पंचविधा संसारसमावण्णगा जीवा पण्णत्ता, तं जहा-एगिदिया, बेइंदिया, तेइंदिया, चरिंदिया, पंचिंदिया।
२०४. संसार-समापन्नक (संसारी) जीव पाँच प्रकार के हैं-(१) एकेन्द्रिय, (२) द्वीन्द्रिय, 卐 (३) त्रीन्द्रिय, (४) चतुरिन्द्रिय और (५) पंचेन्द्रियजीव।
204. Samsar-samapannak jivas (worldly living beings) are of five kinds-(1) Ekendriya (one-sensed beings), (2) Duindriya (Two-sensed 卐 beings), (3) Trindriya (three-sensed beings), (4) Chaturindriya (four
sensed beings) and (5) Panchendriya (five-sensed animal beings). 卐 गति-आगति-पद GATI-AAGATI-PAD (SEGMENT OF BIRTH FROM AND TO) । २०५. एगिंदिया पंचगतिया पंचागतिया पण्णत्ता, तं जहा-एगिदिए एगिदिएसु उववज्जमाणे
एगिदिएहिंतो वा, (बेइंदिएहितो वा, तेइंदिएहितो वा, चउरिदिएहिंतो वा,) पंचिंदिएहितो वा उववज्जेज्जा। म से चेव णं से एगिदिए एगिदियत्तं विप्पजहमाणे एगिदियत्ताए वा, (बेइंदियत्ताए वा, तेइंदियत्ताए # वा, चउरिदियत्ताए वा), पंचिंदियत्ताए वा गच्छेज्जा।
२०६. बेंदिया पंचगतिया पंचागतिया एवं चेव। २०७. एवं जाव पंचिंदिया पंचगतिया पंचागतिया पण्णत्ता, तं जहा-पंचिंदिए जाव गच्छेज्जा।
२०५. एकेन्द्रिय जीव पाँच गतिक (गति में जाने वाले) और पाँच आगतिक (आने वाले) हैं(१) एकेन्द्रिय जीव एकेन्द्रियों में उत्पन्न होता हुआ। (पूर्वभव में) एकेन्द्रियों से, या द्वीन्द्रियों से, या + त्रीन्द्रियों से, या चतुरिन्द्रियों से, या पंचेन्द्रियों से आकर उत्पन्न होता है।
(२) वही एकेन्द्रियजीव एकेन्द्रियपर्याय को छोड़ता हुआ (आगामी भव में) एकेन्द्रियों में, या द्वीन्द्रियों में, या त्रीन्द्रियों में, या चतुरिन्द्रियों में, या पंचेन्द्रियों में उत्पन्न होता है।
२०६-२०७. इसी प्रकार द्वीन्द्रिय जीव भी पाँच गतिक और पाँच आगतिक है। यावत् पंचेन्द्रिय तक के सभी जीव पाँच गतिक और पाँच आगतिक होते हैं। $ 205. Ekendriya jiva (one-sensed beings) have five kinds of gatis
(reincarnation to) and five aagatis (reincarnation from)-A being taking birth as a one-sensed being reincarnates from either one-sensed
beings, two-sensed beings, three-sensed beings, four-sensed beings or fi five-sensed beings.
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पंचम स्थान : तृतीय उद्देशक
(201)
Fifth Sthaan : Third Lesson
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