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minimum, (2) his lightness is praiseworthy, (3) his appearance + (contented and hermit-like) invokes confidence, (4) his austerity (reduced
needs and sacrifice) is according to the code and (5) his control over sense 卐 organs is great. उत्कल-पद UTKAL-PAD (SEGMENT OF THE EXTREMELY POWERFUL)
२०२. पंच उक्कला पण्णत्ता, तं जहा-दंडुक्कले, रज्जुक्कले, तेणुक्कले, देसुक्कले, सब्बुक्कले।
२०२. पाँच उत्कल (उत्कट शक्ति-सम्पन्न) पुरुष होते हैं-(१) दण्डोत्कल-प्रबल दण्ड (आज्ञा या सैन्यशक्ति) वाला पुरुष अथवा गुरुजनों की कठोर आज्ञा का पालन करने वाला। (२) राज्योत्कल-प्रबल म राज्यशक्ति वाला अथवा विशेष राज-प्रतिष्ठा प्राप्त पुरुष। (३) स्तेनोत्कल-प्रबल चोरों की शक्ति वाला ॥
(तस्करों का सरदार व दुःस्साहसिक व्यक्ति)। (४) देशोत्कल-प्रबल जनपद की शक्ति वाला अथवा जनपद
के कारण महत्ता प्राप्त करने वाला पुरुष। (५) सर्वोत्कल-उक्त सभी प्रकार की प्रबल शक्ति वाला पुरुष। 41 202. There are five utkals (extremely powerful persons)—(1) dandotkal
a person with extreme power of punishment (great army) or a person who + obeys harshest command of seniors, (2) rajyotkal-a person with great
power of state or a person with very high status in state, (3) stenotkal--a 卐 person with great power of theft (a bandit leader), (4) deshotkal-a person
having great power of a republic or a person having high status in a republic and (5) sarvotkal-aperson having all kinds of power. समिति-पद SAMITI-PAD (SEGMENT OF SELF REGULATION)
२०३. पंच समितीओ पण्णत्ताओ, तं जहा-इरियासमिती, भासासमिती, एसणासमिती, आयाणभंड-मत्त-णिक्खेवणासमिती, उच्चार-पासवण-खेल-सिंघाण-जल्लपारिठावणियसमिती।
२०३. समितियाँ पाँच प्रकार की हैं-(१) ईर्यासमिति-गमन में सावधानी। (२) भाषासमितिम बोलने में सावधानी। (३) एषणासमिति-गोचरी में सावधानी-निर्दोष भिक्षा लेना।
(४) आदान-भाण्ड-अमत्र-निक्षेपणासमिति-भोजनादि के भाण्ड-णत्र आदि को सावधानीपूर्वक ॐ देखकर लेना और रखना। (५) उच्चार (मल) प्रस्रवण-(मूत्र) श्लेष्म (कफ) जल्ल (शरीर का मैल) + सिंघाड़ (नासिका का मल), इनका निर्जन्तु स्थान में विसर्जन करना।
203. Samitis (self regulations) are of five kinds-(1) Irya samitiproper care in movement, (2) bhasha samiti-proper care in speaking, (3) eshana samiti---proper care in seeking and collecting alms, (4) adanbhand-amatra-nikshepana samiti-proper care in taking and keeping bowls for food etc. and (5) uchchar-prasravan-shleshm-jalla-singhad prasthapana samiti-proper care in disposal of all kinds of excreta
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| स्थानांगसूत्र (२)
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Sthaananga Sutra (2) |
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