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-जो बाह्य रूप में रज को दूर करता है, तथा भाव रूप में कर्म रज को दूर करता है। इस कारण 卐 उसे रजोहरण कहा जाता है। (बृहत्कल्पभाष्य गाथा ३६७५ की वृत्ति में रजोहरण सम्बन्धी विस्तृत वर्णन है) 5
Elaboration The commentator (Vritti) has given the true definition of rajo-haran (dust remover) as-as it removes the outer or physical dirt and also the inner dirt in the form of dust of karmas it is called dust remover or rajo-haran (ascetic broom). (for more details on ascetic broom
refer to Vritti of Brihatkalp Bhashya verse 3675) + निश्रास्थान-पद NISHRA-STHAAN-PAD (SEGMENT OF SUPPORT)
१९२. धम्मण्णं चरमाणस्स पंच णिस्साट्ठाणा पण्णत्ता, तं जहा-छक्काया, गणे, राया, गाहावती, सरीरं। म १९२. धर्म का आचरण करने वाले साधु के लिए पाँच निश्रा (आलम्बन) स्थान हैं-(१) षट्काय, (२) गण (श्रमण-संघ), (३) राजा, (४) गृहपति, (५) शरीर।
192. For an ascetic following code of conduct there are five nishra sthaan (supports)--(1) shatkaya (six bodies), (2) gana (ascetic organization), (3) raja (king), (4) grihapati (householder) and (5) sharira (body).
विवेचन-आलम्बन या आश्रय देने वाले उपकारक को निश्रास्थान कहते हैं। षट्काय को भी 5 निश्रास्थान कहने में उनकी उपयोगिता इस प्रकार बताई है-(१) पृथिवी की निश्रा-भूमि पर ठहरना,
बैठना, सोना, मल-मूत्र-विसर्जन आदि। (२) जल की निश्रा-वस्त्र-प्रक्षालन, तृषा-निवारण, 卐 शरीर-शौच आदि। (३) अग्नि की निश्रा-भोजन-पाचन. पानक आदि। (४) वाय की निश्रा-अचित वाय * का ग्रहण, श्वासोच्छ्वास आदि। (५) वनस्पति की निश्रा-संस्तारक, पाट, फलक, वस्त्र, औषधि, वृक्ष की म छाया आदि। (६) त्रस की निश्रा-गोबर, गोमूत्र, दूध, दही आदि।
दूसरा निश्रास्थान गण है। गुरु के परिवार को गण कहते हैं। गण में रहने वाले के सारणा-सत्कार्य में के प्रवर्तन और वारणा-असत्कार्य-निवारण के द्वारा कर्म-निर्जरा होती है, संयम की रक्षा होती है और म धर्म की वृद्धि होती है। 卐 राजा को निश्रास्थान इसलिए कहा है क्योंकि वह दुष्टों का निग्रह और साधुओं का अनुग्रह करके + धर्म के पालन में आलम्बन होता है। गृहपति स्थान या उपाश्रय देने वाला है, वह ठहरने को स्थान एवं
भोजन-पान देकर साधुजनों का आलम्बन होता है। शरीर धर्म का आद्य या प्रधान साधन होने से निश्रास्थान है।
Elaboration Support or place and person of refuge is called nishra sthaan. The reasons for inclusion of six bodies in the list of supports are—(1) Earth as support in place of stay, sitting, sleeping, excretion and other activities. (2) Water as support in-drinking, washing clothes,
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स्थानांगसूत्र (२)
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Sthaananga Sutra (2)
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