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८३. केवली के पाँच स्थान अनुत्तर (सर्वोत्तम - अनुपम ) होते हैं - (१) अनुत्तर ज्ञान, (२) अनुत्तर
5 दर्शन, (३) अनुत्तर चारित्र, (४) अनुत्तर तप, (५) अनुत्तर वीर्य ।
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83. Kevali has five anuttar (superlative or unparalleled) sthaans (virtues ) - (1) Anuttar jnana (supreme knowledge), (2) Anuttar darshan (supreme perception ), ( 3 ) Anuttar chaaritra (supreme conduct ),
(4) Anuttar tap ( supreme austerities) and (5) Anuttar virya (supreme potency).
पंच कल्याणक-पद PANCH KALYANAK-PAD
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(SEGMENT OF FIVE AUSPICIOUS EVENTS)
८४. पउमप्पहे णं अरहा पंचचित्ते हुत्था, तं जहा - ( १ ) चित्ताहिं चुते चइत्ता गन्भं वक्कंते ।
(२) चित्ताहिं जाते । (३) चित्ताहिं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारितं पव्वइए । (४) चित्ताहिं अनंते अणुत्तरे णिव्याघाए णिरावरणे कसिणे पडिपुण्णे केवलवरणाणदंसणे समुप्पण्णे । (५) चित्ताहिं परिणिब्बुते ।
84. The panch kalyanaks (five auspicious events) in the life of फ Tirthankar Padmaprabh (sixth Tirthankar) occurred in Chitra
5 Nakshatra (1) He descended from heaven into the womb of his mother 5
in Chitra Nakshatra. (2) He was born in Chitra Nakshatra. (3) He 卐
८४. पद्मप्रभ (छठे ) तीर्थंकर के पाँच कल्याणक चित्रा नक्षत्र में हुए - (१) चित्रा नक्षत्र में स्वर्ग से च्युत हुए और च्युत होकर गर्भ में आये । (२) चित्रा नक्षत्र में जन्म हुआ। (३) चित्रा नक्षत्र में मुण्डित होकर अगार से अनगारिता में प्रव्रजित हुए । ( ४ ) चित्रा नक्षत्र में अनन्त, अनुत्तर, निर्व्याघात, निरावरण, सम्पूर्ण, परिपूर्ण केवल ज्ञान-दर्शन समुत्पन्न हुआ। (५) चित्रा नक्षत्र में निर्वाण हुआ।
H Nakshatra. (5) He got nirvana in Chitra Nakshatra.
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tonsured his head, renounced his household and got initiated in Chitra 5 5 Nakshatra. (4) He attained infinite, unmatched, unrestricted, unveiled, 5 perfect
and supreme Keval-jnana and keval-darshan) in Chitra 5
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८५. पुष्पदंते णं अरहा पंचमूले हुत्था, तं जहा - मूलेणं चुते चइत्ता गब्भं वक्कंते एवं चैव
एवमेतेणं अभिलावेणं इमातो गाहातो अणुगंतव्यातो
८५. पुष्पदन्त (नौवें तीर्थंकर के पाँच कल्याणक मूल नक्षत्र में हुए - (१) मूल नक्षत्र में स्वर्ग से च्युत हुए और च्युत होकर गर्भ में आये ।
in Mool Nakshatra. (and so on )
स्थानांगसूत्र (२)
फ्र
85. The panch kalyanaks (five auspicious events) in the life of 5 Tirthankar Pushpadant (ninth Tirthankar) occurred in Mool Nakshatra
(1) He descended from heaven into the womb of his mother
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Sthaananga Sutra ( 2 )
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