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பூமித்ததததததததி***************தமிமிமிமிததமிமிமிமிததததததிதமிழிதழிக
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transform to animals and fight. It should be noted that
among Asuras we find a mention of buffalo and at the same place among
Devas we find bull. Buffalo represents vices like lethargy, stupor and strength whereas bull represents virtues like strength, agility, and excellence. Mad Asuras transform to buffalos and fight with agile Devas transformed to bulls. (Hindi Tika, part-2, p. 62)
themselves
देवस्थिति - पद DEVASTHITI PAD (SEGMENT OF LIFE SPAN OF GODS)
६८. सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो अब्भंतरपरिसाए देवाणं पंच पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता । ६९. ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरण्णो अब्भंतरपरिसाए देवीणं पंच पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता । ६८. देवराज देवेन्द्र शक्र की अन्तरंग परिषद् के देवों की स्थिति पाँच पल्योपम है । ६९. देवराज
देवेन्द्र ईशान की अन्तरंग परिषद् की देवियों की स्थिति पाँच पल्योपम है।
68. The life span of gods of inner assembly of Shakra Devendra, the king of gods of first heaven is five Palyopam (a conceptual unit of time). 69. The life span of goddesses of inner assembly of Ishan Devendra, the king of gods of second heaven is five Palyopam (a conceptual unit of time).
प्रतिघात - पद PRATIGHAT PAD (SEGMENT OF IMPEDIMENT)
७०. पंचविहा पडिहा पण्णत्ता, तं जहा - गतिपडिहा, ठितिपडिहा, बंधणपडिहा, भोगपडिहा, बल - वीरिय - पुरिसयार - परक्कमपडिहा ।
७०. प्रतिघात (अवरोध या स्खलन ) पाँच प्रकार के होते हैं - ( १ ) गति - प्रतिघात - अशुभ प्रवृत्ति के द्वारा शुभगति का अवरोध । (२) स्थिति - प्रतिघात - उदीरणा के द्वारा कर्मस्थिति का अल्पीकरण ।
(३) बन्धन - प्रतिघात - शुभ औदारिक शरीर - बन्धनादि की प्राप्ति का अवरोध । ( ४ ) भोग - प्रतिघातभोग्य सामग्री के भोगने का अवरोध । (५) बल, वीर्य, पुरुष और पराक्रम की प्राप्ति का अवरोध ।
70. Pratighat (impediments or falls) are of five kinds – ( 1 ) Gati pratighat-impeding the shubh-gati (good rebirth) through bad attitude or action. (2) Sthiti pratighat - reduction of duration of karma through fruition. (3) Bandhan pratighat-impeding the bonding of good karmas leading to good audarik sharira (gross physical body). (4) Bhog pratighat-impeding the enjoyment of available means of pleasure. (5) Impeding the acquisition of strength, potency, prowess and valour. विवेचन - सामान्यतः प्रतिघात का अर्थ है, अवरोध, अन्तराय या रुकावट । किन्तु यहाँ अध्यात्म दृष्टि से वर्णन है, अतः यहाँ अशुभ भावों व अशुभ प्रवृत्तियों द्वारा शुभ गति, शुभ स्थिति, शुभबंधन, शुभभोग और सुबल-वीर्य में अवरोध या प्रतिहनन होना अपेक्षित है।
स्थानांगसूत्र (२)
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Sthaananga Sutra (2)
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