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रूवेहिं, गंधेर्हि, रसेहिं, फासेहिं । ९. पंचहिं ठाणेहिं जीवा गिज्झंति, तं जहा- हा - सद्देहिं, रूवेहिं, गंधेहिं, रसेहिं, फासेहिं । १०. पंचहिं ठाणेहिं जीवा अज्झोववज्जंति, तं जहा - सद्देहिं, रूवेहिं, गंधेहिं, रसेहिं, फासेहिं । ११. पंचहिं ठाणेहिं जीवा विणिघायमावज्जंति, तं जहा - सद्देहिं, जाव (रूवेहिं, गंधेहिं, रसेहिं), फासेहिं ।
७. इन पाँच स्थानों में जीव अनुरक्त होते हैं - (१) शब्दों में, (२) रूपों में, (३) गन्धों में, (४) रसों में, (५) स्पर्शो में । ८. पाँच स्थानों में जीव मूर्च्छित होते हैं - (१) शब्दों में, (२) रूपों में, (३) गन्धों में, (४) रसों में, (५) स्पर्शो में । ९. पाँच स्थानों में जीव गृद्ध होते हैं - ( १ )
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(३) गन्धों में, (४) रसों में, (५) स्पर्शो में । १०. पाँच स्थानों में जीव अध्युपपन्न (अत्यासक्त) होते हैं- 卐
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(१) शब्दों में, (२) रूपों में, (३) गन्धों में, (४) रसों में, (५) स्पर्शो में । ११. पाँच स्थानों से जीव विनिघात ( मरण या विनाश) को प्राप्त होते हैं - (१) शब्दों से, (२) रूपों से, (३) गन्धों से, (४) रसों से, 5 (५) स्पर्शो से ।
. विवेचन-संग, राग, मूर्च्छा आदि पाँचों शब्द मन की आसक्ति की क्रामिक तीव्रता के सूचक हैं। जैसे(१) संग - इन्द्रिय विषयों के साथ सम्बन्ध, (२) राग - इन्द्रिय विषयों से गहरा लगाव । (३) मूर्च्छा - इन्द्रिय विषयों के सेवन से उत्पन्न दोषों को नहीं देखना तथा उनके संरक्षण के लिए चिन्तन करना । (४) गृद्धि - प्राप्त विषयों के प्रति असंतोष और अप्राप्त विषयों की आकांक्षा, (५) अध्युपपन्नता-विषयों के सेवन में एकचित्त हो जाना तथा उनकी प्राप्ति के लिए व्यग्र होकर चिन्तन करना (वृत्ति भाग २ पृष्ठ ५०२ )
शब्दों में, (२) रूपों में,
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7. Beings get attracted (anurakt) to five sthaans (subjects ) – ( 1 ) to i shabd (sound), (2) to rupa (form or appearance), (3) to gandh ( smell ), (4) to rasa (taste) and (5) to sparsh (touch ). 8. Beings get fond of (murchchhit) in five sthaans (subjects ) - ( 1 ) of shabd (sound), (2) of rupa (form or appearance), (3) of gandh ( smell), (4) of rasa (taste) and (5) of sparsh (touch). 9. Beings get infatuated with (griddha) five sthaans फ्र (subjects)—(1) with shabd (sound ), ( 2 ) with rupa (form or appearance ), 5 (3) with gandh ( smell), (4) with rasa (taste) and (5) with sparsh (touch). 5 10. Beings get obsessed with five sthaans (subjects) – (1) with shabd i (sound ), ( 2 ) with rupa ( form or appearance ), ( 3 ) with gandh ( smell ), 5 (4) with rasa (taste) and (5) with sparsh (touch). 11. Beings get destroyed (vinighaat) by five sthaans (subjects)-(1) by shabd (sound), (2) by rupa (form or appearance), (3) by gandh ( smell ), ( 4 ) by rasa (taste) and (5) by sparsh (touch).
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Elaboration-The five terms including sang (contact), raag (attachment) and murchchha (fondness) present the gradual increase in intensity of obsession. For example-(1) Sang is contact with subjects of sense organs. (2) Raag is attachment with them. ( 3 ) Murchchha is to 5 पंचम स्थान : प्रथम उद्देशक
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Fifth Sthaan: First Lesson 卐
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