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638. The vimaans (celestial vehicles) in Sanatkumar and Mahendra Kalps (specific divine realms) are of four colours—(1) nila (blue), (2) lohit (red), (3) haridra (yellow) and (4) shukla (white).
६३९. महासुक्क-सहस्सारेसु णं कप्पेसु देवाणं भवधारणिज्जा सरीरगा उक्कोसेणं चत्तारि ॥ रयणीओ उ8 उच्चत्तेणं पण्णत्ता।
६३९. महाशुक्र और सहस्रारकल्पों में देवों के भवधारणीय (जन्मजात शरीर) शरीर की उत्कृष्ट ऊँचाई चार रनि-प्रमाण (चार हाथ) प्रमाण होती है।
639. The maximum height of the bhavadharaniya sharira (incarnation sustaining body or normal body) of the gods in Mahashukra and Sahasrar Kalps is four Ratni (cubits). गर्भ-पद GARBH-PAD (SEGMENT OF WOMB)
६४०. चत्तारि दगगब्भा पण्णत्ता, तं जहा-उस्सा, महिया, सीता, उसिणा।
६४०. उदक के चार गर्भ (जलवर्षा के कारण) कहे हैं-(१) ओस, (२) मिहिका (कुहरा, धूवर), (३) अति शीतलता, (४) अति उष्णता।
640. There are four garbh (wombs or sources) of udak (water or rain)-(1) os (dew), (2) mihika (fog), (3) sheet (excessive cold) and (4) ushna (excessive heat). ६४१. चत्तारि दगगब्भा पण्णत्ता, तं जहा-हेमगा, अब्भसंथडा, सीतोसिण, पंचरूविया।
माहे उ हेमगा गब्भा, फग्गुणे अब्भसंथडा।
सीतोसिणा उ चित्ते, वइसाहे पंचरूविया॥१॥ (संग्रहणी-गाथा) ६४१. उदक के चार गर्भ कहे हैं-(१) हिमपात, (२) आकाश का मेघों से आच्छादित रहना, (३) अति शीतोष्णता, (४) पंचरूपिका।
(१) माघ मास में हिमपात से। फाल्गुन मास में आकाश बादलों से आच्छादित रहने से। चैत्र मास में अतिशीत और अति उष्णता से, तथा वैशाख मास में पंचरूपिका से उदक-गर्भ रहता है। वायु, बादल गरज, बिजली और जल इन्हें पंचरूपिका कहते हैं।
641. There are four garbh (wombs or sources) of udak (water or rain)-(1) himapaat (snowfall), (2) cloud covered sky, (3) ati sheetoshnata (excess of cold and heat), and (4) pancharupika (five signs-air, clouds, thunder, lightening and water).
Rain is caused by snowfall in the month of Magh, by cloud covered sky in the month of Phalgun, by excessive cold and heat in the month of | चतुर्थ स्थान : चतुर्थ उद्देशक
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Fourth Sthaan : Fourth Lesson
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