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635. Malya (garlands) are of four kinds-(1) granthim-made by si stringing flowers in cotton thread, (2) veshtim-made by wrapping i
flowers into a specific shape of a crown. (3) poorim-made by braiding or
filling flowers, and (4) sanghatim-made by interweaving or entwining + flowers.
६३६. चउबिहे अलंकारे पण्णत्ते, तं जहा-केसालंकारे, वत्थालंकारे, मल्लालंकारे, आभरणालंकारे।
६३६. अलंकार चार प्रकार के हैं-(१) केशालंकार-शिर के बालों को सजाना। (२) वस्त्रालंकारॐ सुन्दर वस्त्रों को धारण करना। (३) माल्यालंकार-मालाओं को धारण करना। (४) आभरणालंकार+ सुवर्ण-रत्नादि के आभूषणों को धारण करना।
636. Alankar (embellishments) are of four kinds—(1) keshalankar-to 4 embellish hair, (2) vastralankar-to adorn body with beautiful dresses, (3) malyalankar-to embellish with garlands and bead strings, and (4) aabharanalankar-to embellish with gold and gem ornaments.
६३७. चउब्बिहे अभिणए पण्णत्ते, तं जहा-दिह्रितिए, पाडिसुते, सामण्णओविणिवाइयं, 3 लोगमज्झावसिते।
६३७. अभिनय (नाटक) चार प्रकार का होता है-(१) दार्टान्तिक-किसी घटना-विशेष का ॐ अभिनय। (२) प्रातिश्रुत-रामायण, महाभारत आदि का अभिनय। (३) सामान्यतोविनिपातिक-राजा+ मंत्री आदि का अभिनय अथवा हँसी, रुदन आदि मनोभावों का प्रदर्शन। (४) लोकमध्यावसितमानवजीवन की विभिन्न अवस्थाओं व वेष-भूषाओं का अभिनय।
637. Abhinaya (acting) is of four kinds-(1) darshtantik-dramatic presentation of a specific event, (2) praatishrut-dramatic presentation of an epic like Ramayana and Mahabharat, (3) samanyatovinipatikacting of a king, minister or other such characters; also dramatic presentation of different moods like laughter and weeping, and (4) lokamadhyavasit-dramatic presentation of different states of human life and different cultures and dresses. विमान-पद VIMAAN-PAD (SEGMENT OF CELESTIAL VEHICLES)
६३८. सणंकुमार-माहिंदेसु णं कप्पेसु विमाणा चउवण्णा पण्णत्ता, तं जहा-णीला, लोहिता, ॐ हालिद्दा, सुक्किल्ला।
६३८. सनत्कुमार और माहेन्द्र कल्पों में चार वर्ण वाले विमान हैं-(१) नील, (२) लोहित (रक्त), न 9 (३) हारिद्र (पीत), (४) शुक्ल (श्वेत) वर्ण वाले।
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स्थानांगसूत्र (२)
(78)
Sthaananga Sutra (2)
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फ्रजमधी )
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