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E said qualities of living beings and matter. Like the spokes in the wheel of a
chariot there are six divisions of each of these half-cycles popularly known as aras (spokes). The first ara of the regressive half-cycle is epoch of extreme happiness and is of four kota-koti Sagaropam (a metaphoric unit of time) long. The second ara is of happiness and is three kota-koti Sagaropam (a metaphoric unit of time) long. The third one is of more happiness than sorrow, fourth is of more sorrow than happiness, fourth is of sorrow (twenty one thousand years long) and the sixth is of extreme sorrow and is of twenty one thousand years.
In the progressive half-cycle the said order is exactly reverse. These $ progressive changes in the time-cycle are effective only in the Bharat
and Airavat areas (as postulated in Jain cosmology) and nowhere else. (for clarity see illustration)
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वर्गणा पद (२४ दण्डक कथन) VARGANA-PAD (SEGMENT OF CATEGORIES)
१४१. एगा णेरइयाणं वग्गणा। १४२. एगा असुरकुमाराणं वग्गणा जाव। १४३. [एगा णागकुमाराणं वग्गणा। १४४. एगा सुवण्णकुमाराणं वग्गणा। १४५. एगा विज्जुकुमाराणं ॐ वग्गणा। १४६. एगा अग्गिकुमाराणं वग्गणा। १४७. एगा दीवकुमाराणं वग्गणा। १४८. एगा
उदहिकुमाराणं वग्गणा। १४९. एगा दिसाकुमाराणं वग्गणा। १५०. एगा वायुकुमाराणं वग्गणा।
१५१. एगा थणियकुमाराणं वग्गणा। १५२. एगा पुढविकाइयाणं वग्गणा। १५३. एगा + आउकाइयाणं वग्गणा। १५४. एगा तेउकाइयाणं वग्गणा। १५५. एगा वाउकाइयाणं वग्गणा। ॐ १५६. एगा वणस्सकाइयाणं वग्गणा। १५७. एगा बेइंदियाणं वग्गणा। १५८. एगा तेइंदियाणं
वग्गणा। १५९. एगा चउरिंदियाणं वग्गणा। १६०. एगा पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं वग्गणा। म १६१. एगा मणुस्साणं वग्गणा। १६२. एगा वाणमंतराणं वग्गणा। १६३. एगा जोइसियाणं वग्गणा।] १६४. एगा वेमाणियाणं वग्गणा।
१४१. नारकीय जीवों की वर्गणा (दण्डक समुदाय) एक है। १४२. असुरकुमार देवों की वर्गणा एक है। १४३. [नागकुमारों की वर्गणा एक है। १४४. सुपर्णकुमारों की वर्गणा एक है। १४५. विद्युतकुमारों ॐ की वर्गणा एक है। १४६. अग्निकुमारों की वर्गणा एक है। १४७. द्वीपकुमारों की वर्गणा एक है। म १४८. उदधिकुमारों की वर्गणा एक है। १४९. दिक्कुमारों की वर्गणा एक है। १५०. वायुकुमारों की
वर्गणा एक है। १५१. स्तनित (मेघ) कुमारों की वर्गणा एक है। १५२. पृथ्वीकायिक जीवों की वर्गणा के एक है। १५३. अप्कायिक जीवों की वर्गणा एक है। १५४. तेजस्कायिक जीवों की वर्गणा एक है। + १५५. वायुकायिक जीवों की वर्गणा एक है। १५६. वनस्पतिकायिक जीवों की वर्गणा एक है।
१५७. द्वीन्द्रिय जीवों की वर्गणा एक है। १५८. त्रीन्द्रिय जीवों की वर्गणा एक है। १५९. चतुरिन्द्रिय ॐ जीवों की वर्गणा एक है। १६०. पंचेन्द्रियतिर्यग्योनिक जीवों की वर्गणा एक है। १६१. मनुष्यों की वर्गणा ॥
प्रथम स्थान
(23)
First Sthaan
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