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Elaboration-Although mrisha (falsity) and maya (deceit) are believed to be different vices, here the seventeenth demerit has been named as mayamrisha, which means a deceitful lie. Abhayadev Suri has interpreted this term as 'to resort to disguise in order to cheat someone'. Perversions in the form of mental agitation are included in arati or neglect of discipline. The attitude of fondness for mundane pleasures leading to inclination towards indiscipline is included in rati. (for detailed 4 description of eighteen demerits refer to the Hindi commentary by Acharya Shri Atmamarm ji M.)
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अष्टादश पापविरमण-पद ASHTADASH PAAPVIRAMAN-PAD
(SEGMENT OF ABSTAINING FROM EIGHTEEN DEMERITS) __ १०९. एगे पाणाइवाय-वेरमणे जाव। ११०. [एगे मुसवाय-वेरमणे। १११. एगे अदिण्णादाण-वेरमणे। ११२. एगे मेहुण-वेरमणे।] ११३. एगे परिग्गह-वेरमणे। ११४. एगे कोह-विवेगे। ११५. [ एगे माण-विवेगे जाव। ११६. एगे माया-विवेगे। ११७. एगे लोभविवेगे।११८. एगे पेज-विवेगे। ११९. एगे दोस-विवेगे। १२०. एगे कलह-विवेगे। १२१. एगे है अब्भक्खाण-विवेगे। १२२. एगे पेसुण्णे-विवेगे। १२३. एगे परपरिवाय-विवेगे। १२४. एगे 5 अरतिरति-विवेगे। १२५. एगे मायामोस-विवेगे।] १२६. एगे मिच्छादंसण-सल्ल-विवेगे। __ १०९. प्राणातिपात-विरमण एक है। ११०. [मृषावाद-विरमण एक है। १११. अदत्तादान-5 विरमण एक है। ११२. मैथुन-विरमण एक है।] ११३. परिग्रह-विरमण एक है। ११४. क्रोध-विवेक एक है। ११५. [मान-विवेक एक है। ११६. माया-विवेक एक है। ११७. लोभ-विवेक एक है। ऊ ११८. प्रेयस् (राग)-विवेक एक है। ११९. द्वेष-विवेक एक है। १२०. कलह-विवेक एक है। १२१. अभ्याख्यान-विवेक एक है। १२२. पैशुन्य-विवेक एक है। १२३. पर-परिवाद विवेक एक है। १२४. अरति-रति-विवेक एक है। १२५. मायामृषा-विवेक एक है।] १२६. मिथ्यादर्शनशल्य-विवेक ॥
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एक है।
109. Pranatipat viraman (to abstain from harming or destroying life) is one. 110. [Mrishavad viraman (to abstain from falsity) is one. 111. Adattadan viraman (to abstain from taking without being given; to abstain from acts of stealing) is one. 112. Maithun viraman (to abstain from indulgence in sexual activities) is one.] 113. Parigraha viraman (to abstain from acts of possession of things) is one. 114. Krodh vivek १. [ ] इस प्रकार कोष्ठक में जो आगम पाठ है, वह कुछ प्राचीन प्रतियों में नहीं मिलता है, किन्तु आगम प्रकाशन
समिति, ब्यावर की प्रति में है। 1. Text within these brackets is not in some ancient texts but it is included in the
Agam Prakashan Samiti, Beawar edition.
स्थानांगसूत्र (१)
(20)
Sthaananga Sutra (1)
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