________________
का प्रभाव सभी जीवों के मन पर समान रूप से पड़ता है। उसे एक कहा गया है अर्थात् सभी जीवों के परिक्लेश या कष्ट का कारण एक अधर्म प्रतिज्ञा (अधर्म का प्रभाव) है, तथा धर्म प्रतिज्ञा (साधना) भी एक ही है जिससे आत्मा शुद्ध स्वरूप की प्राप्ति करता है।
Elaboration—Sorrow or misery, when defined as suffering the consequences of one's own deeds, is same for all beings. This phenomenon is unified with soul and spread all over, encompassing every single space-point of soul exactly as heat is unified with iron in a hot iron ball encompassing every single atom. The effect of good and bad intent and action is same on all beings. It is classified as singular because the cause of all misery of all beings is the intent of wrong action. Same is true of intent of right action as it uniformly leads every being towards spiritual purity.
४१. एगे मणे देवासुरमणुयाणं तंसि तंसि समयंसि। ४२. एगा वई देवासुरमणुयाणं तंसि तंसि समयंसि। ४३. एगे काय-वायामे देवासुरमणुयाणं तंसि तंसि समयंसि। ४४. एगे उट्ठाण-कम्मबल-वीरिय-पुरिसकार-परक्कमे देवासुरमणुयाणं तंसि तंसि समयंसि।
४१. देव-(वैमानिक एवं ज्योतिष्क), असुर-(भवनपति एवं व्यन्तर) और मनुष्य जिस समय चिन्तन करते हैं उस समय उनका एक मन होता है। ४२. देव, असुर और मनुष्य जब बोलते हैं, उस समय उनके एक ही वचन होता है। ४३. देव, असुर और मनुष्य जिस समय काययोग की प्रवृत्ति करते हैं, उस समय उनके एक काय व्यायाम (व्यापार) होता है। ४४. देव, असुर और मनुष्यों के एक समय में एक ही उत्थान, कर्म, बल, वीर्य, पुरुषकार और पराक्रम होता है। -
41. At the time when devas (vehicle based and stellar gods), asuras (abode dwelling and interstitial gods) and human beings contemplate, there mental activity is one. 42. At the time when devas, asuras and human beings speak, there vocal activity is one. 43. At the time when vehicle based and stellar gods, abode dwelling and interstitial gods and human beings indulge in physical activity, there bodily action is one. 44. At one time devas (vehicle based and stellar gods), asuras (abode dwelling and interstitial gods) and human beings have only one utthan, karma, bal, virya, purushakar and parakram.
विवेचन-जीवों के एक समय में एक ही मनोयोग, एक ही वचनयोग और एक ही काययोग होता है। आगम में मनोयोग के चार भेद कहे हैं-सत्यमनोयोग, मृषामनोयोग, सत्य-मृषामनोयोग और अनुभय (व्यवहार) मनोयोग। इनमें से एक जीव के एक समय में एक ही मनोयोग का होना सम्भव है।
इसी प्रकार वचनयोग के चार भेदों में से एक समय में एक जीव के एक ही वचनयोग होना सम्भव है। काययोग के सात भेद बताये गये हैं-इनमें से एक समय में एक ही काययोग का होना सम्भव है।
प्रथम स्थान
(15)
First Sthaan
9999
6
)
)))
))))))
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org