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4 from the argument used by him. (3) Pratinibh upanyasopanaya-to 41 counter a speaker by using another similar argument as given by him.
(4) Hetu upanyasopanaya-answering a question by presenting the cause. हेतु-पद HETU-PAD (SEGMENT OF CAUSE)
५०४. हेऊ चउबिहे पण्णत्ते, तं जहा-जावए, थावए, वंसए, लूसए। ___अहवा-हेऊ चउबिहे पण्णत्ते, तं जहा-पच्चक्खे, अणुमाणे, ओवम्मे, आगमे।
अहवा-हेऊ चउविहे पण्णत्ते, तं जहा-अत्थित्तं अत्थि सो हेऊ, अत्थित्तं णत्थि सो हेऊ, ॐ णत्थित्तं अत्थि सो हेऊ, णत्थित्तं णत्थि सो हेऊ।
५०४. हेतु (साध्य की सिद्धि करने वाला वचन) चार प्रकार का होता है-(१) यापक हेतु-जिसे + प्रतिवादी शीघ्र न समझ सके ऐसा समय बिताने वाला उलझाने वाला हेतु। (२) स्थापक हेतु-साध्य को
शीघ्र स्थापित (सिद्ध) करने वाला हेतु। (३) व्यंसक हेतु-प्रतिवादी को छल या भुलावे में डालने वाला हेतु। (४) लूषक हेतु-व्यंसक हेतु के द्वारा प्राप्त आपत्ति को दूर करने वाला हेतु। . अथवा-हेतु चार प्रकार का होता है-(१) प्रत्यक्ष, (२) अनुमान, (३) औपम्य (उपमान),
(४) आगम। (इनका वर्णन अनुयोगद्वारसूत्र, भाग-२, पृष्ठ २७५ पर किया गया है।) ___अथवा-हेतु चार प्रकार का होता है-(१) 'अस्तित्व है' इस प्रकार से विधि-साधक विधि हेतु। ॐ (२) 'अस्तित्व नहीं है' इस प्रकार से विधि-साधक-निषेध हेतु। (३) 'नास्तित्व है' इस प्रकार से निषेध-साधक विधि हेतु। (४) 'नास्तित्व नहीं है' इस प्रकार से निषेध-साधक निषेध-हेतु।
504. Hetu (causative phrase or statement that proves a point) is of ॐ four kinds-(1) Yapak hetu-a confusing and time consuming hetu that is
hard to comprehend by an opponent. (2) Sthapak hetu-a hetu that quickly proves a point. (3) Vyansak hetu-a deceptive hetu that beguiles an opponent. (4) Looshak hetu-a hetu that helps recover from the beguiled state caused by a vyansak hetu.
Also Hetu (causative phrase or statement that proves a point) is of four kinds-(1) Pratyaksh (direct experience or perceptual cognition),
(2) Aupamya (Anumaan or inferential knowledge), (3) Upamaan Si (analogical knowledge), and (4) Agam (scriptural knowledge). (for details refer to Illustrated Anuyog-dvar Sutra, Part 2, p. 275)
Also Hetu (causative phrase or statement that proves a point) is of four kinds (1) A positive statement proving a point, such as—"There is existence'. (2) A negative statement proving a point, such as-"There is
चतुर्थ स्थान
(583)
Fourth Sthaan
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