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8555555555555555555555555555555558 5 TECHNICAL TERMS Vivek-to contemplate over distinctiveness of body and soul after
ee of impure thoughts. Vyutsarg—to dissociate from one's body by removing fondness for it. Prasuk-achitt or not contaminated with
living organism is called prasuk (food prescribed for ascetics). 卐 Eshaniya-faultless (of origin etc.) food acceptable for ascetics.
Uchchha--food and drinks collected in small portions from numerous houses. Samudanik-collecting alms by begging. Atishaya jnanadarshan-miraculous knowledge and perception/faith, such as maximum jati-smaran jnana-darshan (memory of earlier births), ultimate avadhi jnana-darshan, manah-paryav jnana-darshan and Keval jnana-darshan.
(details about these terms have already been discussed) ॐ २५५. चउहि ठाणेहिं णिग्गंथाण वा णिग्गंथीण वा अतिसेसे णाणदंसणे समुप्पजिउकामे
समुप्पज्जेज्जा, तं जहाम (१) इथिकहं भत्तकहं देसकहं रायकहं णो कहेत्ता भवति। (२) विवेगेण विउस्सगेणं ॐ सम्ममप्पाणं भावेत्ता। (३) पुवरत्तवरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरइत्ता भवति। (४) फासुयस्स एसणिज्जस्स उंछस्स सामुदाणियस्स सम्मं गवेसित्ता भवति।
इच्चेतेहिं चउहिं ठाणेहिं णिग्गंथाण वा णिग्गंथीण वा जाव अतिसेस णाणदंसणे समुप्पज्जिउकामे समुप्पज्जेज्जा।
२५५. चार कारणों से निर्ग्रन्थ और निर्ग्रन्थियों को अतिशययुक्त ज्ञान-दर्शन (उत्पन्न होने की स्थिति में होने पर) तत्काल उत्पन्न होते हैं-(१) जो स्त्रीकथा, भक्तकथा, देशकथा और राजकथा नहीं कहता। (२) जो विवेक और व्युत्सर्ग के द्वारा आत्मा की सम्यक् प्रकार से भावना करता है। (३) जो
पूर्वरात्रि और अपररात्रि के समय धर्म जागरणा करता है। (४) जो प्रासुक, एषणीय, उञ्छ (बचा हुआ) 5 और सामुदानिक भिक्षा की सम्यक् प्रकार से गवेषणा करता है।
___ इन चार कारणों से निर्ग्रन्थ और निर्ग्रन्थियों को अतिशययुक्त ज्ञान-दर्शन उत्पन्न होने की स्थिति 9 होने पर तत्काल उत्पन्न हो जाते हैं।
255. For four reasons nirgranth and nirgranthi (male and female ascetics) about to attain miraculous jnana and darshan (knowledge and perception/faith) at once do attain that
(1) He who does not indulge in gossips about women, food, country and king. (2) He who properly enkindles his soul with sagacity and renunciation. (3) He who remains awake for religious activities during first and last quarters of night. (4) He who sincerely explores
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| चतुर्थ स्थान
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Fourth Sthaan 3555555555555555555555555555555555555
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