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5 sampanna). A bull strong enough to carry heavy burden is called bal 卐 sampanna. A bull with healthy and beautiful body is called rupa sampanna. These attributes have been matched with qualities of man. Good maternal lineage is believed to impart qualities of modesty, both godfear from sin and good nature. Good paternal lineage is believed to impart qualities of sobriety, patience, and diligence. One who is endowed with 5 both these qualities, he is also strong and beautiful. (Hindi Tika, p. 767) 卐
5 हस्ति-पद (चार पद) HASTI-PAD (SEGMENT OF ELEPHANT)
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236. Hasti (elephants) are of four kinds-(1) Bhadra-excellent in good qualities like composure, strength and speed. (2) Mand-mediocre i in good qualities like composure, strength and speed. (3) Mrig-weak ! and cowardly like a deer. (4) Sankirna-having mixed attributes of the said three classes of elephants. In the same way manushya (men) are of four kinds (1) Bhadra-excellent in good qualities like composure, ! 5 strength and speed. (2) Mand-mediocre in good qualities like ! composure, strength and speed. (3) Mrig - weak and cowardly like a deer. (4) Sankirna-having mixed attributes of the said three classes of men.
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२३६. चत्तारि हत्थी पण्णत्ता, तं जहा - भद्दे, मंदे, मिए, संकिण्णे । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-भद्दे, मंदे, मिए, संकिण्णे ।
२३६. हाथी चार प्रकार के होते हैं - (१) भद्र - धैर्य, वीर्य, वेग आदि गुण वाला । (२) मन्द - धैर्य आदि गुणों की मन्दता वाला। (३) मृग - हरिण के समान छोटे दुर्बल शरीर और भीरुता वाला । (४) संकीर्ण- उक्त तीनों जाति के हाथियों के मिश्रित गुण वाला । इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के
होते हैं - ( १ ) भद्रपुरुष - धैर्य-वीर्यादि उत्कृष्ट गुणों की प्रकर्षता वाला। (२) मन्दपुरुष - धैर्य - वीर्यादि गुणों
की मन्दता वाला। (३) मृगपुरुष - छोटे, दुर्बल शरीर व भीरु स्वभाव वाला। (४) संकीर्णपुरुषः- उक्त तीनों जाति के पुरुषों के मिश्रित गुण वाला ।
२३७. (१) चत्तारि हत्थी पण्णत्ता, तं जहा - भद्दे णाममेगे भद्दमणे, भद्दे णाममेगे मंदमणे, भद्दे णाममेगे मियमणे, भद्दे णाममेगे संकिण्णमणे । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहाभद्दे णाममेगे भद्दमणे, भद्दे णाममेगे मंदमणे, भद्दे णाममेगे मियमणे, भद्दे णाममेगे संकिण्णमणे ।
२३८. (२) चत्तारि हत्थी पण्णत्ता, तं जहा - मंदे णाममेगे भद्दमणे, मंदे णाममेगे मंदमणे, मंदे णाममेगे मियमणे, मंदे णाममेगे संकिण्णमणे । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा- मंदे णाममेगे भद्दमणे, [ मंदे णाममेगे मंदमणे, मंदे णाममेगे मियमणे, मंदे णाममेगे संकिण्णमणे । ]
स्थानांगसूत्र (१)
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Sthaananga Sutra (1)
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