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०७१. अतिकायस्स णं महोरगिंदस्स [ महोरग्गरण्णो ? ] चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहा - भुयगा, भूयगावती, महाकच्छा, फुडा। १७२. एवं महाकायस्स वि ।
171. Atikaya Mahoragendra, the king of Mahorag gods has four agramahishis (chief queens)—(1) Bhujaga, (2) Bhujagavati,
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4 (3) Mahakaksha, and ( 4 ) Sphuta. 172. In the same way Mahakaya also has four chief queens.
१७१. महोरगराज महोरगेन्द्र अतिकाय की चार अग्रमहिषियाँ हैं - (१) भुजगा, (२) भुजगवती, (३) महाकक्षा, (४) स्फुटा । १७२. इसी प्रकार महाकाय की भी चार अग्रमहिषियाँ हैं ।
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१७३. गीतरतिस्स णं गंधव्विंदस्स [ गंधव्वरण्णो ? ] चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ,
तं जहा - सुघोसा, विमला, सुस्सरा, सरस्सती । १७४. एवं गीयजसस्स वि ।
१७३. गन्धर्वराज गन्धर्वेन्द्र गीतरति की चार अग्रमहिषियाँ हैं - (१) सुघोषा, (२) विमला,
(३) सुस्वरा, (४) सरस्वती । १७४. इसी प्रकार गीतयश की भी चार अग्रमहिषियाँ हैं ।
173. Geetarati Gandharvendra, the king of Gandharva gods has four agramahishis (chief queens)-(1) Sughosha, (2) Vimala, (3) Susvara,
5 and ( 4 ) Sarasvati. 174. In the same way Geetayash also has four 5 5 chief queens.
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१७५. चंदस्स णं जोतिसिंदस्स जोतिसरण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहाचंदप्पभा, दोसिणाभा, अच्चिमाली पभंकरा । १७६. एवं सूरस्स वि, णवरं - सूरप्पभा, दोसिणाभा, 5 अच्चिमाली, पभंकरा ।
१७५. ज्योतिष्कराज ज्योतिष्केन्द्र चन्द्र की चार अग्रमहिषियाँ हैं - (१) चन्द्रप्रभा, (२) ज्योत्स्नाभा,
(३) अर्चिमालिनी, (४) प्रभंकरा । १७६. इसी प्रकार ज्योतिष्कराज ज्योतिष्केन्द्र सूर्य की चार
अग्रमहिषियाँ हैं- (१) सूर्यप्रभा, (२) ज्योत्स्नाभा, (३) अर्चिमालिनी, (४) प्रभंकरा ।
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फ्र 175. Chandra Jyotishkendra, the king of Jyotishk gods has four 5 agramahishis (chief queens ) – ( 1 ) Chandraprabha, ( 2 ) Jyotsanabha, (3) Archimalini, and (4) Prabhankara. 176. In the same way Surya Jyotishkendra, the king of Jyotishk gods has four agramahishis
( chief queens ) - ( 1 ) Suryaprabha, ( 2 ) Jyotsanabha, (3) Archimalini, and (4) Prabhankara.
१७७. इंगालस्स णं महागहस्स चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहा - विजया, वेजयंती, जयंती, अपराजिया । १७८. एवं सव्वेसिं महग्गहाणं जाव भावकेउस्स।
१७७. महाग्रह अंगार की चार अग्रमहिषियाँ हैं - (१) विजया, (२) वैजयन्ती, (३) जयन्ती, (४) अपराजिता । १७८. इसी प्रकार भावकेतु तक के सभी महाग्रहों की चार-चार अग्रमहिषियाँ हैं।
स्थानांगसूत्र ( १ )
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Sthaananga Sutra (1)
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