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85555555555 55-555555-5 5-5-55 5 5-555555 55 55 55-558 + ८०. चाहिं ठाणेहिं कोहुप्पत्ती सिया, तं जहा-खेत्तं पुडुच्च, वत्थु पुडुच्च, सरीरं पडुच्च, उवहिं + पडुच्च। एवं-णेरइयाणं जाव वेमाणियाणं। ॐ ८०. चारों कारणों से क्रोध की उत्पत्ति होती है-(१) क्षेत्र (खेत-भूमि) के कारण, (२) वास्तु 7 (घर आदि) के कारण, (३) शरीर (रोग व रूप आदि शारीरिक कारणों से), (४) उपधि (उपकरणादि) ॐ के कारण। नारकों से लेकर वैमानिक तक के सभी दण्डकों में उक्त चार कारणों से क्रोध की उत्पत्ति फ़ होती है।
80. There are four reasons for rise of krodh (anger)–(1) for kshetra \i (farm or land), (2) for vaastu (house, property etc.), (3) for sharira
isease, appearance and other physiological reasons), and (4) for upadhi (equipment and other possessions). Anger rises for these four reasons in 4. all dandaks (places of suffering) from infernal beings to Vaimanik gods.
८१. [चउहि ठाणेहिं माणुप्पत्ती सिया, तं जहा-खेत्तं पडुच्च, वत्थु पुडुच्च, सरीरं पडुच्च, ॐ म उवहिं पडुच्च। एवं-णेरइयाणं जाव वेमाणियाणं। ८२. चउहि ठाणेहिं मायुप्पत्ती सिया, तं जहाॐ खेत्तं पुडुच्च, वत्थु पुडुच्च, सरीरं पडुच्च, उवहिं पुडुच्च। एवं-णेरइयाणं जाव वेमाणियाणं।
८३. चाहिं ठाणेहिं लोभुप्पत्ती सिया, तं जहा-खेत्तं पुडुच्च, वत्थु पुडुच्च, सरीरं पुडुच्च, उवहिं ॐ पडुच्च। एवं-णेरइयाणं जाव वेमाणियाणं।]
८१. चार कारणों से मान की उत्पत्ति होती है-(१) क्षेत्र, (२) वास्तु, (३) शरीर, और (४) उपधि फ़ के कारण। नारकों से लेकर वैमानिक तक में उक्त चार कारणों से मान की उत्पत्ति होती है। ८२. चार
कारणों से माया की उत्पत्ति होती है-(१) क्षेत्र, (२) वास्तु, (३) शरीर, और (४) उपधि के कारण। ॐ नारकों से लेकर वैमानिक तक में उक्त चार कारणों से माया की उत्पत्ति होती है। ८३. चार कारणों से
लोभ की उत्पत्ति होती है-(१) क्षेत्र, (२) वास्तु, (३) शरीर, और (४) उपधि के कारण। नारकों से फलेकर वैमानिक तक में उक्त चार कारणों से लोभ की उत्पत्ति होती है।
81. There are four reasons for rise of maan (conceit)–(1) for kshetra, (2) for vaastu, (3) for sharira, and (4) upadhi. Conceit rises for aforesaid 4 four reasons in all dandaks from infernal beings to Vaimanik gods. i 82. There are four reasons for rise of maya (deceit)–(1) for kshetra, (2) for vaastu, (3) for sharira, and (4) upadhi. Deceit rises for aforesaid four reasons in all dandaks (places of suffering) from infernal beings to Vaimanik gods. 83. There are four reasons for rise of lobh (greed)—(1) for i kshetra, (2) for vaastu, (3) for sharira, and (4) upadhi. Gr aforesaid four reasons in all dandaks (places of suffering) from infernal beings to Vaimanik gods.
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प्रचतुर्थ स्थान
(363)
Fourth Sthaan
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