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62. There are four signs of artadhyana-(1) krandanata—to weep, (2) shochanata-to grieve, (3) tepanata-to shed tears, and (4) parivedanata—to lament.
६३. रोहे झाणे चउविहे पण्णत्ते, तं जहा-हिंसाणुबंधि, मोसाणुबंधि, तेणाणुबंधि, सारक्खणाणुबंधि।
६३. रौद्रध्यान चार प्रकार का है-(१) हिंसानुबन्धी-हिंसक प्रवृत्ति में तन्मयता। (२) मृषानुबन्धीअसत्य भाषण सम्बन्धी एकाग्रता। (३) स्तेनानुबन्धी-चोरी करने-कराने की प्रवृत्ति सम्बन्धी तन्मयता। (४) संरक्षणानुबन्धी-परिग्रह के अर्जन और संरक्षण सम्बन्धी तन्मयता।
63. Raudradhyana is of four kinds—(1) himsanubandhi- 5 engrossment in violent activities, (2) mrishanubandhi-engrossment in uttering lies, (3) stenanubandhi-engrossment in stealing and allied activities, and (4) samrakshnanubandhi-engrossment in hoarding things and protecting them.
६४. रुद्दस्स णं झाणस्स चत्तारि लक्खणा पण्णत्ता, तं जहा-ओसण्णदोसे, बहुदोसे, . अण्णाणदोसे, आमरणंतदोसे।
६४. रौद्रध्यान के चार लक्षण हैं-(१) उत्सन्नदोष-हिंसादि किसी एक पाप में निरन्तर संलग्न रहना। (२) बहुदोष-हिंसादि सभी पापों में संलग्न रहना। (३) अज्ञानदोष-अज्ञान के कारण हिंसादि अधार्मिक कार्यों में प्रवृत्त होना। (४) आमरणान्तदोष-मरणकाल तक भी हिंसादि करने का फ़ अनुताप/पश्चात्ताप न होना।
[आर्तध्यान को तिर्यग्गति का कारण और रौद्रध्यान को नरकगति का कारण कहा है। ये दोनों ही ॥ अप्रशस्त या अशुभ ध्यान हैं।]
64. There are four signs of raudradhyana-(1) utsannadosh-to be ever indulgent in one specific sin including violence, (2) bahudosh-to be ever indulgent in every sin, (3) ajnanadosh-to indulge in irreligious acts like violence out of ignorance, and (4) amaranantadosh-not to be repentant for sinful violent actions even till the time of death.
[Artadhyana is said to be the cause of rebirth as animal and raudradhyana as that of rebirth as infernal being. Both these are ignoble or bad states of mind.)
६५. धम्मे झाणे चउबिहे चउप्पडोयारे पण्णत्ते, तं जहा-आणाविजए, अवायविजए, विवागविजए, संठाणविजए।
६५. धर्मध्यान चार प्रकार का है। वह (स्वरूप, लक्षण, आलम्बन और अनुपेक्षा) इन चार पदों में समाविष्ट होता है-(१) आज्ञाविचय-जिन प्रवचन के चिन्तन में संलग्न रहना। (२) अपायविचय
चतुर्थ स्थान
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