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55555555555555555555555555 एवमेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-अंबपलबकोरवसमाणे, तालपलबकोरवसमाणे, वल्लिपलबकोरवसमाणे, मेंढविसाणकोरवसमाणे।
५५. कोरक (कलि) चार प्रकार के होते हैं, जैसे-(१) आम्रप्रलम्ब कोरक-आम के फल की कलिका। (२) तालप्रलम्ब कोरक-ताड़ के फल की कलिका। (३) वल्लीप्रलम्ब कोरक-वल्ली (लता) के फल वाली कलिका। (४) मेंद्रविषाण कोरक-मेंढ़े के सींग के समान फल वाली वनस्पति-(जो केवल दीखने में सुन्दर होती है) की कलिका।
इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते हैं, जैसे-(१) आम्रप्रलम्ब-कोरक समान-जो सेवा करने वाले को उचित अवसर पर उचित उपकाररूप फल प्रदान करे। (२) तालप्रलम्ब-कोरक समान-जो दीर्घकाल तक खूब सेवा करने वाले को उपकाररूप फल प्रदान करे। (३) वल्लीप्रलम्ब-कोरक समान-जो सेवा करने पर शीघ्र और सरलता से फल प्रदान करे। (४) मेंद्रविषाण-कोरक समान-जो सेवा करने पर भी केवल मीठे वचन ही बोले, किन्तु कोई उपकार न करे।
55. Korak (bud) is of four kinds—(1) amrapralamb korak--mango bud, (2) taalapralamb korak-pine bud, (3) vallipralamb korak-creeper bud, and (4) mendhravishan korak-a bud resembling horns of a ram (which is beautiful only to look at).
In the same way men are also of four kinds——(1) like amrapralamb korak (mango bud)-one who rewards service properly and timely, (2) like taalapralamb korak (pine bud)-one who rewards only prolonged service, 4 (3) vallipralamb korak (creeper bud)-one who rewards service easily and quickly, and (4) like mendhravishan korak (a bud resembling horns of a ram)-one who rewards service simply by sweet words and not materially. भिक्षाक-पद BHIKSHAAK-PAD (SEGMENT OF ALMS EATER)
५६. चत्तारि घुणा पण्णत्ता, तं जहा-तयक्खाए, छल्लिक्खाए, कटुक्खाए, सारक्खाए।
एवामेव चत्तारि भिक्खागा पण्णत्ता, तं जहा-तयक्खायसमाणे, जाव [छल्लिक्खायसमाणे कट्ठक्खायसमाणे ] सारक्खायसमाणे। (१) तयक्खायसमाणस्स णं भिक्खागस्स सारक्खायसमाणे तवे पण्णत्ते। (२) सारक्खायसमाणस्स णं भिक्खागस्स तयक्खायसमाणे तवे पण्णत्ते। (३) छल्लिक्खायसमाणस्स णं भिक्खागस्स कट्ठक्खायसमाणे तवे पण्णत्ते। (४) कट्ठक्खायसमाणस्स णं भिक्खागस्स छल्लिक्खायसमाणे तवे पण्णत्ते।
५६. घुण (काष्ठ-भक्षक कीड़े) चार प्रकार के होते हैं, जैसे-(१) त्वक्-खाद-वृक्ष की ऊपरी छाल को खाने वाला। (२) छल्ली-खाद-छाल के भीतरी भाग को खाने वाला। (३) काष्ठ-खाद-काष्ठ को खाने वाला। (४) सार-खाद-काष्ठ के मध्यवर्ती सार को खाने वाला।
चतुर्थ स्थान
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Fourth Sthaan
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