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Elaboration-In the second and third alternative of aphorism 36 4 questions may arise that how can a person speaking truth can transform $1 to be untrue and how a person speaking untruth can transform to be 41
true ? The answer is that some person initially says that he will not tell a lie and promises to do so but later he actually becomes false or unauthentic. In the same way a person tells a lie about something but once he promises to utter truth he actually puts it into action turning
true. According to Acharya Shri Atmamarm ji M. the truth uttered by an i unrighteous person for selfish and violent purpose is dravya satya 4 (material truth or mere utterance of truth). In terms of attitude or actual
i action it falls in the category of untruth. म शुचि-अशुचि-पद (दस विकल्प) SHUCHI-ASHUCHI-PAD
(SEGMENT OF CLEAN AND UNCLEAN) ४५. (१) चत्तारि वत्था पण्णत्ता, तं जहा-सुई णामं एगे सुई, सुई णामं एगे असुई, चउभंगो ४। [ असुई णामं एगे सुई, असुई णामं एगे असुई ]॥ ॐ एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-सुई णामं एगे सुई, चउभंगो। एवं जहेव सुद्धे णं
वत्थेणं भणितं तहेव सुईणा जाव परक्कमे। [सुई णामं एगे असुई, असुई णामं एगे सुई, असुई म णामं एगे असुई। ॐ ४६. (२) चत्तारि वत्था पण्णत्ता, तं जहा-सुई णामं एगे सुइपरिणते, सुई णामं एगे
असुइपरिणते, असुई णामं एगे सुइपरिणते, असुई णामं एगे असुइपरिणते। म एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-सुई णामं एगे सुइपरिणते, सुई णामं एगे असुइपरिणते, असुई णामं एगे सुइपरिणते, असुई णामं एगे असुइपरिणते।
४७. (३) चत्तारि वत्था पण्णत्ता, तं जहा-सुई णामं एगे सुइरूवे, सुई णामं एगे असुइरूवे, असुई णामं एगे सुइरूवे, असुई णामं एगे असुइरूवे। है एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-सुई णामं एगे सुइरूवे, सुई णामं एगे असुइरूवे, म असुई णामं एगे सुइरूवे, असुई णामं एगे असुइरूवे।
४५. वस्त्र चार प्रकार के होते हैं-(१) कोई वस्त्र प्रकृति से शुचि (स्वच्छ) और परिष्कार-सफाई से शुचि होता है, [(२) कोई प्रकृति से शुचि, किन्तु अपरिष्कार-सफाई न होने से अशुचि, (३) कोई प्रकृति से अशुचि,
किन्तु परिष्कार से शुचि, और (४) कोई वस्त्र प्रकृति से अशुचि और अपरिष्कार से भी अशुचि होता है।] है इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते हैं-(१) कोई पुरुष शरीर से शुचि और स्वभाव से शुचि
होता है, (२) कोई शरीर से शुचि, किन्तु स्वभाव से अशुचि, (३) कोई शरीर से अशुचि, किन्तु स्वभाव ॐ से शुचि, और (४) कोई शरीर से अशुचि और स्वभाव से भी अशुचि होता है।
回听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听四
स्थानांगसूत्र (१)
(344)
Sthaananga Sutra (1)
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