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________________ 95555555555555555555555555555555555558 卐 ४०. (६) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-सच्चे णामं एगे सच्चपण्णे, सच्चे णामं एगे असच्चपण्णे, असच्चे णामं एगे सच्चपण्णे, असच्चे णामं एगे असच्चपण्णे। ४१. (७) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-सच्चे णामं एगे सच्चदिट्ठी, सच्चे णामं एगे म असच्चदिट्ठी, असच्चे णामं एगे सच्चदिट्टी, असच्चे णामं एगे असच्चदिट्ठी। ४२. (८) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-सच्चे णामं एगे सच्चसीलाचारे, सच्चे णामं म एगे असच्चसीलाचारे, असच्चे णाम एगे सच्चसीलाचारे, असच्चे णामं एगे असच्चसीलाचारे। म ४३. (९) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-सच्चे णामं एगे सच्चववहारे, सच्चे णामं एगे असच्चववहारे, असच्चे णाम एगे सच्चववहारे, असच्चे णामं एगे असच्चववहारे। ४४. (१०) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-सच्चे णामं एगे राच्चपरक्कमे, सच्चे णाम म एगे असच्चपरक्कमे, असच्चे णामं एगे सच्चपरक्कमे, असच्चे णामं एगे असच्चपरक्कमे। म ३५. पुरुष चार प्रकार के होते हैं-(१) कोई पुरुष पहले भी सत्य (वादी) होता है और पीछे भी 5 सत्य (वादी) होता है, [(२) कोई पहले सत्य (वादी), किन्तु पीछे असत्य (वादी), (३) कोई पहले असत्य (वादी), किन्तु पीछे सत्य (वादी), और (४) कोई पहले भी असत्य (वादी) और पीछे भी असत्य (वादी) होता है। परिणत से लेकर पराक्रम पर्यन्त चार-चार भंग जानने चाहिए। ३६. [पुरुष चार प्रकार के होते हैं-(१) कोई पुरुष सत्य (सत्यवादी-प्रतिज्ञापालक की अपेक्षा) है और सत्य-परिणत (क्रिया या व्यवहार की अपेक्षा) होता है, (२) कोई सत्य, किन्तु असत्य-परिणत, (३) कोई असत्य (असत्यभाषी), किन्तु सत्य-परिणत, और (४) कोई असत्य और असत्य-परिणत # होता है। म ३७. पुरुष चार प्रकार के होते हैं-(१) कोई पुरुष सत्य (व्रत आदि की दृष्टि से) और सत्य A (यथार्थ) रूप वाला होता है, (२) कोई सत्य, किन्तु असत्य रूप वाला, (३) कोई असत्य (असत्यभाषी), । किन्तु सत्य रूप वाला, और (४) कोई असत्य और असत्य रूप वाला होता है। ३८. पुरुष चार प्रकार के होते हैं-(१) कोई पुरुष सत्य और सत्य मन वाला होता है, (२) कोई । सत्य, किन्तु असत्य मन वाला, (३) कोई असत्य, किन्तु सत्य मन वाला, और (४) कोई असत्य और असत्य मन वाला होता है। ३९. पुरुष चार प्रकार के होते हैं-(१) कोई पुरुष सत्य और सत्य संकल्प वाला होता है, (२) कोई सत्य, किन्तु असत्य संकल्प वाला, (३) कोई असत्य, किन्तु सत्य संकल्प वाला, और (४) कोई असत्य और असत्य संकल्प वाला होता है। ४०. पुरुष चार प्रकार के होते हैं-(१) कोई पुरुष सत्य और सत्य प्रज्ञा वाला होता है, (२) कोई सत्य, किन्तु असत्य प्रज्ञा वाला होता है, (३) कोई पुरुष असत्य, किन्तु सत्य प्रज्ञा वाला, और (४) कोई पुरुष असत्य और असत्य प्रज्ञा वाला होता है। चतुर्थ स्थान (341) Fourth Sthaan Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002905
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2004
Total Pages696
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_sthanang
File Size21 MB
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