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32. Men are of four kinds—(1) Some man is shuddha (pure) by caste 4 and shuddha vyavahar (pure in behaviour) as well. (2) Some man is pure ___ by caste but ashuddha vyavahar (impure in behaviour). (3) Some man is
npure by caste but pure in behaviour. (4) Some man is impure by caste and in behaviour as well.
33. Men are of four kinds-(1) Some man is shuddha (pure) by caste and shuddha parakram (pure in endeavour) as well. (2) Some man is pure by caste but ashuddha parakram (impure in endeavour). (3) Some man is impure by caste but pure in endeavour. (4) Some man is impure by caste and in endeavour as well.
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सुत-पद SUT-PAD (SEGMENT OF SON) ____३४. चत्तारि सुता पण्णत्ता, तं जहा-अतिजाते, अनुजाते, अवजाते, कुलिंगाले।
३४. सुत (पुत्र) चार प्रकार के होते हैं, जैसे-(१) कोई सुत अतिजात-पिता से भी अधिक समृद्ध और श्रेष्ठ होता है (जैसे-श्रीकृष्ण आदि)। (२) कोई सुत अनुजात-पिता के समान समृद्धि वाला होता है । (भरत चक्रवर्ती)। (३) कोई सुत अपजात-पिता से हीन समृद्धि वाला होता है। (४) कोई सुत कुलाङ्गारकुल में अंगार के समान-कुल को दूषित करने वाला होता है (दुर्योधन आदि की तरह)।
34. Sut (son) is of four kinds—(1) atijaat-more wealthy and 5 accomplished than father (like Shrikrishna), (2) anujaat--as wealthy as 4 father (Bharat Chakravarti), (3) apajaat-less wealthy than father and (4) kulaangaar-a cinder-like black spot on the family (like Duryodhan). सत्य-असत्य-पद (दस विकल्प) SATYA-ASATYA-PAD (SEGMENT OF TRUTH AND LIE)
३५. (१) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-सच्चे णामं एगे सच्चे, सच्चे णाम एगे असच्चे, [ असच्चे णामं एगे सच्चे, असच्चे णामं एगे असच्चे। ] एवं परिणते जाव परक्कमे।
३६. (२) [ चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-सच्चे णामं एगे सच्चपरिणते, सच्चे णाम एगे असच्चपरिणते, असच्चे णामं एगे सच्चपरिणते, असच्चे णामं एगे असच्चपरिणते।
३७. (३) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-सच्चे णामं एगे सच्चरूवे, सच्चे णामं एगे असच्चरूवे, असच्चे णामं एगे सच्चरूवे, असच्चे णामं एगे असच्चरूवे।
३८. (४) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-सच्चे णामं एगे सच्चमणे, सच्चे णामं एगे असच्चमणे, असच्चे णामं एगे सच्चमणे, असच्चे णामं एगे असच्चमणे।
३९. (५) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-सच्चे णामं एगे सच्चसंकप्पे, सच्चे णामं एगे असच्चसंकप्पे, असच्चे णामं एगे सच्चसंकप्पे, असच्चे णाम एगे असच्चसंकप्पे।
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| स्थानांगसूत्र (१)
(340)
Sthaananga Sutra (1)
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