________________
1555555 5555)
)
)))
))
)))
)
))
))
)
)
)
)
)
)
נ ת ת ת ת ת ת
נ ת ת
נ ת ת
נ ת ת ובו ובובוב ובובוב וב ובוב. ו. ו. ו. ו. ו. י- י
tremble in order to display his riddhi (opulence), dyuti (radian: ), yash F (fame), bal (strength), virya (potency), purushakar (ego of prowess) and Fi parakram (ego of valorous action).
___(3) When Devs (gods) and Asurs (demons) join in battle, the whole A earth trembles.
For these three reasons the whole earth trembles. देवस्थिति-पद DEV-STHITI-PAD (SEGMENT OF LIFE SPAN OF GODS)
३४८. तिविहा देवकिब्बिसिया पण्णत्ता, तं जहा-तिपलिओवमद्वितीया, तिसागरोवमद्वितीया तेरससागरोवमद्वितीया।
(१) कहि णं भंते ! तिपलिओवमद्वितीया देवकिब्बिसिया परिवसंति ?
उप्पिं जोइसियाणं, हिटि सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु, एत्थ णं तिपलिओवमद्वितीया देवकिब्बिसिया परिवसंति।
(२) कहि णं भंते ! तिसागरोवमद्वितीया देवकिब्बिसिया परिवसंति ?
उप्पिं सोहम्मीसाणाणं कप्पाणां, हेट्ठि सणंकुमार-माहिंदेसु कप्पेसु, एत्थ णं तिसागरोवमद्वितीया देवकिब्बिसिया परिवसंति।
(३) कहि णं भंते ! तेरससागरोवमद्वितीया देवकिब्बिसिया परिवसंति ?
उप्पिं बंभलोगस्स कप्पस्स, हेडिं लंतगे कप्पे, एत्थ णं तेरससागरोवमद्वितीया देवकिब्बिसिया : परिवसंति।
३४८. किल्विषिक देव (देवताओं में एक प्रकार के अस्पृश्य देव) तीन प्रकार के हैं-(१) तीन पल्योपम की स्थिति वाले, (२) तीन सागरोपम की स्थिति वाले, और (३) तेरह सागरोपम की स्थिति वाले। ॥
(१) प्रश्न-भंते ! तीन पल्योपम की स्थिति वाले किल्विषिक देव कहाँ निवास करते हैं ?
(उत्तर)-आयुष्मन् ! ज्योतिष्क देवों के ऊपर तथा सौधर्म-ईशानकल्पों के नीचे, तीन पल्योपम की स्थिति वाले किल्विषिक देव निवास करते हैं।
(२) प्रश्न-भंते ! तीन सागरोपम की स्थिति वाले किल्विषिक देव कहाँ निवास करते हैं ?
(उत्तर)-आयुष्मन् ! सौधर्म और ईशान कल्पों के ऊपर तथा सनत्कुमार माहेन्द्रकल्पों से नीचे, तीन ॥ सागरोपम की स्थिति वाले देव निवास करते हैं।
(३) (प्रश्न)-भंते ! तेरह सागरोपम की स्थिति वाले किल्विषिक देव कहाँ निवास करते हैं ?
(उत्तर)-आयुष्मन् ! ब्रह्मलोककल्प के ऊपर तथा लान्तककल्प के नीचे तेरह सागरोपम की स्थिति वाले किल्विषिक देव निवास करते हैं।
5555555555555555555555555555555555555
तृतीय स्थान
(289)
Third Sthaan
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Jain Education International