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वचन-पद VACHAN-PAD (SEGMENT OF GRAMMATICAL NUMBER, GENDER AND TENSE)
३११. तिविहे वयणे पण्णत्ते, तं जहा-एगवयणे, दुवयणे, बहुवयणे। अहवा-तिविहे वयणे पण्णत्ते, तं जहा-इत्थिवयणे, पुवयणे, णपुंसगवयणे। अहवा-तिविहे वयणे पण्णत्ते, तं जहा-तीतवयणे, पडुप्पण्णवयणे, अणागयवयणे। ३११. वचन के तीन प्रकार हैं-एकवचन, द्विवचन और बहुवचन। अथवा वचन के तीन प्रकार हैं-स्त्रीवचन, पुरुषवचन और नपुंसकवचन। अथवा वचन के तीन प्रकार हैं-अतीत-वचन, प्रत्युत्पन्न-वचन और अनागत-वचन।
311. Vachan (grammatical number) is of three kinds—ek-vachan (singular), dvi-vachan (dual), and bahu-vachan (plural). 4 Also vachan (grammatical gender) is of three kinds—stree-vachan
(feminine gender), purush-vachan (masculine gender), and napumsakvachan (neuter gender).
Also vachan (grammatical tense) is of three kinds-ateet-vachan (past tense), pratyutpanna-vachan (present tense), and anaagat-vachan
(future tense). ॐ प्रज्ञापना-सम्यक्-पद PRAJNAPANA-SAMYAK-PAD (SEGMENT OF EXPLANATION)
३१२. तिविहा पण्णवणा पण्णत्ता, तं जहा-णाणपण्णवणा, दंसणपण्णवणा, चरित्तपण्णवणा।
३१३. तिविहे सम्मे पण्णत्ते, तं जहा-णाणसम्मे, सणसम्मे, चरित्तसम्मे। म ३१२. प्रज्ञापना (प्ररूपणा-विवेचन) तीन प्रकार की है-(१) ज्ञान की प्रज्ञापना, (२) दर्शन की ॐ प्रज्ञापना, और (३) चारित्र की प्रज्ञापना।
३१३. सम्यक् (मोक्ष-प्राप्ति के अनुकूल साधन) तीन प्रकार का है-(१) ज्ञान-सम्यक्, (२) के दर्शन-सम्यक्, और (३) चारित्र-सम्यक्। 4 312. Prajnapana (explanation or elaboration) is of three kinds卐 (1) jnana-prajnapana (elaboration related to knowledge), (2) darshan
prajnapana (elaboration related to perception/faith), and (3) chaaritrafi prajnapana (elaboration related to conduct).
313. Samyak (right; means of liberation) is of three kinds-(1) jnana5 samyak (that related to knowledge), (2) darshan-samyak (that related to $ perception/faith), and (3) chaaritra-samyak (that related to conduct).
तृतीय स्थान
(279)
Third Sthaan
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