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ॐ विशोधि-पद VISHODHI-PAD (SEGMENT OF EXPIATION)
३१४. तिविहे उवधाते पण्णत्ते, तं जहा-उग्गमोवधाते, उप्पायणोवघाते, एसणोवघाते। ३१४. उपघात (दोष) तीन प्रकार का है- ।
(१) उद्गम-उपघात-आहार की निष्पत्ति से सम्बन्धित भिक्षा-दोष, जो दाता-गृहस्थ के द्वारा किया जाता है।
(२) उत्पादन-उपघात-आहार के ग्रहण करने से सम्बन्धित भिक्षा-दोष, जो साधु द्वारा किया जाता है। म
(३) एषणा-उपघात-आहार लेने के समय होने वाला भिक्षा-दोष, जो साधु और गृहस्थ दोनों के द्वारा किया जाता है।
314.Upaghat (fault) is of three kinds(1) Udgam-upaghat-origin related fault in alms, committed by a donor.
(2) Utpadan-upaghat-fault related to taking alms, committed by an ascetic. + (3) Eshana-upaghat-fault committed by both donor and seeker
during process of alms giving and alms taking. म ३१५. एवं तिविहा विसोही पण्णत्ता [तं जहा-उग्गमविसोही, उप्पायणविसोही, ॐ एसणाविसोही ।
३१५. इसी प्रकार विशोधि उक्त तीन प्रकार की है-[(१) उद्गम-विशोधि-उद्गम-सम्बन्धी भिक्षा ॐ दोषों की निवृत्ति। (२) उत्पादन-विशोधि-उत्पादन-सम्बन्धी भिक्षा-दोषों की निवृत्ति। (३) एषणाविशोधि-गोचरी-सम्बन्धी दोषों की निवृत्ति।]
315. In the same way vishodhi (expiation of faults) is of three kinds(1) Udgam-vishodhi-expiation of origin related fault in alms, committed by a donor. (2) Utpadan-vishodhi-expiation of fault related to taking alms, committed by an ascetic. (3) Eshana-vishodhi-expiation of fault committed by both donor and seeker during alms giving. आराधना-पद ARADHANA-PAD (SEGMENT OF ENDEAVOUR FOR LIBERATION)
३१६. तिविहा आराहणा पण्णत्ता, तं जहा-णाणाराहणा, दंसणाराहणा, चरित्ताराहणा। ___ ३१७. णाणाराहणा तिविहा पण्णत्ता, तं जहा-उक्कोसा, मज्झिमा, जहण्णा। ३१८. एवं दसणाराहणा। ३१९. एवं चरित्ताराहणा।
३१६. आराधना तीन प्रकार की है-(१) ज्ञान-आराधना, (२) दर्शन-आराधना, और (३) चारित्र-आराधना।
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स्थानांगसूत्र (१)
(280)
Sthaananga Sutra (1)
प्रक
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