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३०५. इसी प्रकार उक्त तीन प्रकार के संस्तारकों की अनुज्ञा लेना चाहिए। ३०६. उक्त तीन प्रकार के संस्तारकों का उपयोग करना कल्पता है।
304. Pratima-pratipanna anagar (ascetic observing special codes ) should inspect (pratilekhan) three kinds of samstarak (seat or bed). They are—
काल - पद KAAL-PAD (SEGMENT OF TIME)
(1) Prithvishila-level land or rock. (2) Kashth shila-flat block or plank of wood. (3) Yathasamsrit-hay, straw or other such suitable things. 305. In the same way he should seek permission for use from the फ owner of aforesaid three kinds of seat or bed. 306. After that he should use aforesaid three kinds of seat or bed.
३०७. तिविहे काले पण्णत्ते, तं जहा-तीए, पडुप्पण्णे, अणागए। ३०८. तिविहे समए पण्णत्ते, तं जहा - तीए, पडुप्पण्णे, अणागए। ३०९ एवं आवलिया आणापाणू थोवे लवे मुहुत्ते अहोरत्ते जाव वाससतसहस्से पुव्यंगे पुव्वे जाव ओसप्पिणी । ३१०. तिविहे पोग्गलपरियट्टे पण्णत्ते, तं जहा-तीते, पडुप्पण्णे, अणागए।
३०७. काल तीन प्रकार का है - ( १ ) अतीत (भूतकाल ), (२) प्रत्युत्पन्न (वर्तमान) काल, और (३) अनागत (भविष्य) काल । ३०८. समय तीन प्रकार का है- (१) अतीत, (२) वर्तमान, और (३) अनागत। ३०९. आवलिका, आन-प्राण ( श्वासोच्छ्वास) स्तोक, लव, मुहूर्त्त, अहोरात्र (दिनरात) यावत् लाख वर्ष, पूर्वांग, पूर्व यावत् अवसर्पिणी सभी तीन-तीन प्रकार का जानना चाहिए। ३१०. पुद्गल - परावर्त तीन प्रकार का है - ( 9 ) अतीत- पुद्गल - परावर्त, (२) प्रत्युत्पन्न - पुद्गल - परावर्त, और (३) अनागत- पुद्गल - परावर्त । (विस्तृत वर्णन के लिए अनुयोगद्वारसूत्र, भाग २, सूत्र ५३२ तथा हिन्दी टीका, पृष्ठ ५५० देखें)
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307. Kaal (time) is of three kinds – ( 1 ) ateet kaal (past), (2) pratyutpanna kaal (present), and (3) anaagat kaal (future). 308. Samaya (smallest fraction of time) is of three kinds-(1) past, (2) present, and ( 3 ) future. 309. In the same way Avalika, Aan-pran (inhalation-exhalation), Lava, Muhurt, Ahoratra ( day and night), so on up to... Varshashatsahasra, Purvanga and Purva... and so on up to... Avasarpini and Utsarpini should be read as of aforesaid three kinds. 310. Pudgal paravart (a hypothetical unit of time) is of three kinds— ( 1 ) past Pudgal paravart, (2) present Pudgal paravart, and (3) future Pudgal paravart. (for details of Pudgal paravart refer to Anuyogadvar Sutra, Part 2, aphorism 532 and Hindi Tika, p. 550)
5 स्थानांगसूत्र (१)
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Sthaananga Sutra (1)
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