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विवेचन-मन, वचन और काय योग द्वारा कर्म-बन्ध कराने वाली प्रवृत्ति प्रयोग क्रिया है। कर्मपुद्गलों का प्रकृतिबन्धादि रूप से आदान-समुदान क्रिया है। यही क्रिया जन्म-मरण की परम्परा का हेतु है। अज्ञान से की जाने वाली प्रवृत्ति अज्ञान क्रिया है।
Elaboration Activity that leads to bondage of karmas through mind, speech and body association is prayog kriya. Acquisition of karmas in the form of prakriti bandha (qualitative bondage) is samudan kriya; this is the process leading to cycles of rebirth. Action out of ignorance is 4 ajnana kriya. __ २८९. पओगकिरिया तिविहा पण्णत्ता, तं जहा-मणपओगकिरिया, वइपओगकिरिया, कायपओगकिरिया। ___ २८९. (प्रवृत्ति रूप) प्रयोगक्रिया तीन प्रकार की है-(१) मनःप्रयोग क्रिया, (२) वचनप्रयोग क्रिया, '
और (३) कायप्रयोग क्रिया। ___289. Prayog kriya (activity leading to karmic bondage) is of three kinds-(1) Manah-prayog (mental action), (2) vachan-prayog (vocal action), and (3) kaya-prayog (physical action). ___ २९०. समुदाणकिरिया तिविहा पण्णत्ता, तं जहा-अणंतरसमुदाणकिरिया, परंपरसमुदाणकिरिया, तदुभयसमुदाणकिरिया।
२९०. समुदानक्रिया तीन प्रकार की है-(१) अनन्तर-समुदानक्रिया, (२) परम्पर-समुदानक्रिया, # और (३) तदुभय-समुदानक्रिया।
290. Samudan kriya (undergoing qualitative bondage) is of three kinds-(1) anantar samudan kriya, (2) parampar samudan kriya, and (3) tadubhaya samudan kriya..
विवेचन-(१) बिना किसी व्यवधान के निरन्तर अशुभ एवं दुष्ट क्रिया में प्रवृत्ति करना अनन्तर समुदानक्रिया है। (२) कुछ काल व्यवधान के पश्चात् पुनः उसी क्रिया में प्रवृत्त होना परम्पर समुदानक्रिया है। (३) कभी व्यवधान के, कभी बिना व्यवधान के अशुभ कार्य में प्रवृत्ति करना तदुभय समुदानक्रिया है। (हिन्दी टीका, पृष्ठ ५५४)
Elaboration (1) To indulge in ignoble and evil activities continuously without a break is anantar samudan kriya. (2) To indulge in ignoble and evil activities with breaks is parampar samudan kriya. (3) To indulge in ignoble and evil activities sometimes continuously and at others with a break is tadubhaya (both) samudan kriya. (Hindi Tika, p. 554)
२९१. अण्णाणकिरिया तिविहा पण्णत्ता, तं जहा-मतिअण्णाणकिरिया, सुतअण्णाणकिरिया, विभंगअण्णाणकिरिया।। | तृतीय स्थान
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Third Sthaan
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